बिहार विधानपरिषद चुनाव को लेकर कांग्रेस में फूट, विधायक ने ही खोला पार्टी के खिलाफ मोर्चा
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बिहार विधानपरिषद चुनाव को लेकर कांग्रेस में फूट, विधायक ने ही खोला पार्टी के खिलाफ मोर्चा

पटनाः बिहार विधानपरिषद चुनाव से ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस के विधायकों में फूट पड़ गई है. जहां कांग्रेस के नेता पार्टी के नेताओं की एकजुटता की बात कह रहे थे वो एकजुटता चुनाव से पहले खत्म होती नजर आ रही है.

(फाइल फोटो)

पटनाः बिहार विधानपरिषद चुनाव से ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस के विधायकों में फूट पड़ गई है. जहां कांग्रेस के नेता पार्टी के नेताओं की एकजुटता की बात कह रहे थे वो एकजुटता चुनाव से पहले खत्म होती नजर आ रही है. कांग्रेस के विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने आज भी कहा कि पार्टी विधानपरिषद चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेगी. इस बात को लेकर पार्टी के विधायक ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलकर खड़े हो गए हैं. 

बता दें कि अजीत शर्मा ने अपने सरकारी आवास पर पार्टी विधायकों की एक बैठक भी बुलाई जिसमें बारह विधायक शामिल हुए. इन शामिल होने वाले विधायकों में खगड़िया से कांग्रेस विधायक छत्रपति यादव भी थे लेकिन इसी बीच खबर आई कि कांग्रेस के खेल प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रद्युमन यादव ने चुनाव के लिए एनआर यानि नॉमिनेशन रिसिप्ट कटा ली है.

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प्रद्युमन यादव के समर्थन में खुलकर आए खगड़िया के विधायक छत्रपति यादव ने कहा कि प्रदेश के नेताओं जैसे मदन मोहन झा,अजीत शर्मा ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अंधेरे में रखा है लेकिन कांग्रेस को चुनाव लड़ना चाहिए. छत्रपति यादव ने खुलकर महागठबंधन के साथ रहकर लोकसभा चुनाव लड़ने की वकालत भी की.
                                    
दरअसल एमएलसी चुनाव का गणित कुछ ऐसा है कि यहां एक विधानपरिषद सीट पर जीत के लिए 31 विधायकों के समर्थन की जरूरत है. कांग्रेस के पास सिर्फ 19 विधायक हैं. लिहाजा दूसरी पार्टियों के समर्थन के बगैर कांग्रेस उम्मीदवार का जीत दर्ज कर पाना संभव नहीं है. ये बात कांग्रेस के नेता प्रद्दुमन यादव भी जानते हैं. हालांकि अब उन्होंने नामांकन दाखिल करने का फैसला छोड़ दिया है.

प्रद्युमन यादव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को चुनाव लड़ना चाहिए था. कुछ लोग नहीं चाहते हैं कि राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री बने. प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं ने एनडीए के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. विधानपरिषद चुनाव ने एक बार फिर कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान को उजागर कर दिया है. दोनों नेताओं के इरादों से ये भी लगा कि इनकी वफादारी कांग्रेस के दिल्ली आलाकमान के साथ-साथ लालू यादव परिवार के प्रति भी है. शायद इसलिए प्रद्युमन यादव ने तेजस्वी यादव के फोन आने का भी हवाला दिया था.
(रिपोर्ट-प्रीतम कुमार)

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