राज्य सरकार आशा कर्मियों से 24 घंटे काम लेती है किंतु काम के एवज में प्रतिदिन सरकार की ओर से निर्धारित न्यूनतम मजदूरी भी उन्हें नहीं दी जाती है. अस्पतालों में प्रसव व अन्य स्वास्थ्य सेवाओं में आशा कर्मियों से ड्यूटी लिए जाने के बावजूद उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया गया है.
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बेगूसराय : बेगूसराय में 21 नवंबर को पूरे बिहार में आशा कर्मी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करेंगे. व पटना में सरकार का घेराव भी करेंगे और इसी को लेकर आज बेगूसराय के बछवारा प्रखंड में भी आशा कर्मियों के द्वारा एक सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में एटक के राज्य प्रदेश सचिव कौशलेंद्र कुमार व आशा संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सरिता राय ने भाग लिया.
आश्वासन के बाद भी आशा कर्मियों को नहीं मिला सरकारी दर्जा
आशा संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सरिता राय ने कहा कि कोरोना काल से लेकर अब तक आशा कर्मियों से तमाम तरह की सेवाएं ली गई टीकाकरण में भी आशा कर्मियों ने अपनी अहम भूमिका निभाई जिस वजह से सरकार टीकाकरण के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकी, लेकिन आशा कर्मियों को अभी तक उचित मानदेय नहीं दिया जाता है. साथ ही उन्हें सरकारी कर्मी का दर्जा भी प्राप्त नहीं हुआ है. जबकि नई सरकार में बिहार सरकार के द्वारा भी आशा कर्मियों को सरकारी दर्जा देने का आश्वासन दिया गया था. दिसंबर में होने वाले विधानसभा सत्र से पहले आशा कर्मियों व एटक के द्वारा सरकार का घेराव किया जाएगा. अपनी मांगों के समर्थन में कार्रवाई करने की मांग रखी जाएगी. यदि ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में आशा कर्मी आंदोलन को विवश होंगे.
24 घंटे काम करती है आशा कर्मी
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आशा कर्मियों से 24 घंटे काम लेती है किंतु काम के एवज में प्रतिदिन सरकार की ओर से निर्धारित न्यूनतम मजदूरी भी उन्हें नहीं दी जाती है. अस्पतालों में प्रसव व अन्य स्वास्थ्य सेवाओं में आशा कर्मियों से ड्यूटी लिए जाने के बावजूद उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया गया है. कहा कि सरकार आशा कर्मियों को स्थाई कर्मचारी का दर्जा दे. कहा कि सरकार आशा को प्रतिमाह 22 हजार रुपये मानदेय का निर्धारण करें.
इनपुट- जितेंद्र चौधरी
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