Basant Panchami 2025: देवघर: इस बार बसंत पंचमी की तिथि को लेकर मन में संशय और दुविधा ना रहे, इसके लिए तीर्थ पुरोहितों ने पहले की तिथि निर्धारित की है. जिसमें उदया तिथि के अनुसार, 2 फरवरी, 2025 को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा. इस साल 2 फरवरी, 2025 को वसंत पंचमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 9 मिनट से शुरू होगा, जो दूसरे दिन सुबह 9 बजकर 35 मिनट में समाप्त होगा. बसंत पंचमी के दिन ही मिथिला से देवघर आए हुए श्रद्धालुओं के द्वारा बाबा को तिलक अर्पित किया जाएगा. तिलक उत्सव मनाया जाएगा.
बता दें कि बसंत पंचमी के दिन बाबा को तिलक अर्पित करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, सनातन धर्म में मान्यता है कि शादी से पहले लड़के को तिलक चढ़ता है और फिर शादी होती है.
इसी मान्यता के अनुसार, मिथिला वासी प्रत्येक साल बसंत पंचमी के दिन देवघर में भोलेनाथ को तिलक चढ़ाते हैं और महाशिवरात्रि के दिन महादेव दूल्हा बन माता पार्वती के साथ विवाह करते है. महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ का विवाह संपन्न होता है.
इसी परंपरा को निभाते हुए मंगलवार को क्लब ग्राउंड में हिमालय की तराहही स्थित नेपाल कुशीनगर से 40 श्रद्धालुओं का जत्था सुल्तानगंज से रविवार को चला था. जिनके द्वारा आज बाबा धाम, देवघर में पूजा अर्चना करने के बाद धूमधाम से परंपरा के अनुसार भैरव पूजा किया गया.
पुजारी आचार्य अशोक झा के द्वारा पूजा संपन्न कराया गया, जिसके बाद सभी के बीच प्रसाद वितरण किया गया. इस दौरान जोगेंद्र साह ने बताया कि मैं पिछले 50 साल से तिलक उत्सव में भाग लेने के लिए आ रहा हूं और इस बार भी बाबा धाम 40 लोगों के साथ बस में बैठ कर आए हैं.
जोगेंद्र साह ने आगे बताया कि वो पहले पैदल आते थे, लेकिन अब उम्र के हिसाब से शारीरिक समस्या शुरू हो गई है. इसलिए जब तक दम है तब तक बाबा की नगरी में हाजिरी लगाने के लिए जरूर आएंगे.
जोगेंद्र साह ने कहा कि पहले की स्थिति और आज की स्थिति में बहुत अंतर आ गया है. पहले खुला आसमान और खुला मैदान मिलता था, लेकिन अब सभी जगह पर बाउंड्री कर दिया गया है, जिससे रहने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है.
वहीं, राम छबीला यादव ने बताया कि मेरा तो अभी 3 साल ही हुआ है और जब से इस टोली में शामिल हुआ हूं हर साल आने की इच्छा है और आते रहेंगे.
राम छबीला यादव ने कहा कि अभी श्रद्धालुओं का आना शुरू नहीं हुआ है, लेकिन हमारे क्षेत्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु घर से निकल चुके हैं और 2 फरवरी को बाबा के तिलक उत्सव में सब भाग लेंगे. इसके बाद हम यहां से वापस घर जाएंगे.
राम छबीला यादव ने बताया कि पहले के दिनों में और आज के दिनों में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है. पहले खुला आसमान में डेरा मिल जाता था, लेकिन अब डेरा खोजने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है. (इनपुट - विकास राउत के साथ)
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