69th National Film Award : दर्शकों को जीवन और कर्म के बीच का अंतर समझाएगी फिल्म 'समानांतर' : नीरज कुमार मिश्रा
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69th National Film Award : दर्शकों को जीवन और कर्म के बीच का अंतर समझाएगी फिल्म 'समानांतर' : नीरज कुमार मिश्रा

Film Samantar Got 69th National Film Award : नीरज कुमार निश्रा ने बातचीत के दौरान कहा कि अनिरति फीचर फिल्म्स 'समानांतर' (The Parallel) जिसे सबसे पहले मैथिली भाषा में रिलीज किया गया, के किरदारों ने इतना अच्छा काम किया कि 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2023 में मैथिली भाषा में 'सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म' पुरस्कार से नवाजा गया.

69th National Film Award : दर्शकों को जीवन और कर्म के बीच का अंतर समझाएगी फिल्म 'समानांतर' : नीरज कुमार मिश्रा

Film Samantar Got 69th National Film Award : फिल्म निर्माता, निर्देशक और लेखक नीराज कुमार मिश्रा उन अद्वितीय लोगों में से एक हैं जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से फीचर फिल्म 'समानांतर' (The Parallel) में अपना स्थान हासिल किया है. नीरज कुमार निश्रा ने बातचीत के दौरान कहा कि अनिरति फीचर फिल्म्स 'समानांतर' (The Parallel) जिसे सबसे पहले मैथिली भाषा में रिलीज किया गया, के किरदारों ने इतना अच्छा काम किया कि 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2023 में मैथिली भाषा में 'सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म' पुरस्कार से नवाजा गया. नीरज कुमार मिश्रा की यह पहली फिल्म है. इन्होंने 2018 में हिट फिल्म 'बागी 2' का भी लेखन किया था.

जीवन में 'कर्म' का स्मरण कराएगी फिल्म 'द पैरेलल' (Film Samantar Got National Film Award)
नीरज कुमार मिश्रा ने बताया कि फिल्म समानांतर एक दार्शनिक और अद्भुत संग्रह कहानी है, जिसमें चार कहानियां हैं. सभी 'जीवन' और 'कर्म' के बीच के अंतरों से जुड़ी हैं. यह मानव अस्तित्व द्वारा बनाए गए बुरे कर्मों के प्रति प्राकृतिक प्रतिक्रिया की जांच करती है. जब झूठ, लालच, इच्छा, क्रोध, स्वार्थ और अहंकार आदि हमारे जीवन को इतना प्रभावित करने लगते हैं कि हममें से कुछ लोग अंधे हो जाते हैं और नैतिकता की सभी सीमाओं को पार कर जाते हैं, तो प्रकृति रहस्यमय रूप से हस्तक्षेप करती है.

समानांतर का अर्थ होता है 'द पैरलल' :  नीरज कुमार मिश्रा (Maithili film National Award)
नीरज कुमार मिश्रा ने आगे कहा कि समानांतर का अर्थ होता है 'द पैरलल' और यह मेटाफॉरिकल रूप से उसी बारे में है. जब हमारा 'बुरा कर्म' हमारी बुरी और अनैतिक गतिविधियों के कारण अपने अधिकतम परिमाण तक पहुंचता है, तो विश्व की अज्ञात शक्ति कार्रवाई करना शुरू कर देती है. फिल्म मुख्य रूप से सामाजिक चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करती है जैसे कि 'बेरोजगारी के अत्यधिक मानसिक प्रभाव', 'असंतुष्ट लालच और लगातार झूठ', 'बाल कट्टरपंथ' और 'अत्यंत क्रोध के परिणामस्वरूप व्यावहारिक असहिष्णुता' आदि. इसमें वर्तमान पीढ़ी के मानसिकता और आचरण पर भी ध्यान केंद्रित है, जहां हमारे बड़ों का अनदेखा करना काफी छाया हुआ है.

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