बिहार की राजधानी पटना और नालंदा जिले में मंकी पॉक्स के संदिग्ध मरीज के सामने आने के बाद मंकी पॉक्स को लेकर राज्यभर में सतर्कता बढ़ा दी गई है. बाहर से राज्य में आने वालों पर विशेष नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं.
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Patna: बिहार की राजधानी पटना और नालंदा जिले में मंकी पॉक्स के संदिग्ध मरीज के सामने आने के बाद मंकी पॉक्स को लेकर राज्यभर में सतर्कता बढ़ा दी गई है. बाहर से राज्य में आने वालों पर विशेष नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं. बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि संभावित मरीज मिलने पर सैंपल मंगवाने की व्यवस्था विभाग द्वारा की गई है, सैंपल की जांघ के लिए पुणे भेजा जाएगा.
इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने मंकीपॉक्स के लक्षण वाले मरीजों के उपचार और प्रबंधन के लिए राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पतालों में कम से कम 5 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाने का निर्देश दिया है.
वहीं, सदर हॉस्पिटल के सिविल सर्जन विनोद कुमार ने बताया कि मंकीपॉक्स बीमारी से ज्यादा डरने की बात नहीं है. मंकीपॉक्स का वायरस ऐसे लोगों में ज्यादा असर करता है जो को- मॉडरेट हैं. इस बीमारी के लक्षण सात दिन बाद दिखाई देते हैं. इस दौरान बीमार व्यक्ति में शरीर दर्द ,बुखार, खांसी, सर्दी जैसे लक्षण दिखते हैं. ये बीमारी लगभग 2 से 3 हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाती है.
उन्होंने आगे बताया कि सदर हॉस्पिटल में इसके लिए अलग से आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है. अगर इसके मामले आते हैं, तो इन्हें यही रखा जाएगा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी हमें दिशा निर्देश मिले हैं जिसके अनुसार हम काम कर रहे है.
(इनपुट: आईएएनएस)