वैशाली व समस्तीपुर के आसपास के क्षेत्रों में मिलने वाले बथुआ आम को कंचन मालदा के नाम से भी जाना जाता है. आम की यह किस्म पकने पर सुनहले रंग की हो जाती है
बक्सर का मशहूर चौसा आम स्वाद के मामले में अन्य किस्म के आमों की अपेक्षा थोड़ा अलग होता है. यह आम देर से पकता है. इस आम के छिलके पीले और फल का आकार भी काफी बड़ा होता है.
बिहार में होने वाले आम के प्रमुख किस्मों में से एक गुलाबखास आम भी है. बिहार के सुपौल व आसपास के इलाके में यह आम खूब होता है. इस आम के छिलके के एक हिस्से पर हल्की गुलाबी आभा होती है, इसी के चलते इसका नाम गुलाबखास होता है. यह फल आकार में छोटा होता है. यह आम अपने सुगंध के लिए जानी जाती है.
भागलपुर जिले का प्रसिद्ध ‘जर्दालु आम’ अपनी अनोखी खुशबू के कारण देश के साथ साथ दुनियाभर में प्रसिद्ध है. आम की इस किस्म को हल्के पीले छिलके और इसके मिठास के लिए जाना जाता है. पक जाने पर इसके पीला हो जाने की वजह से इस आम का नाम जर्दालु पड़ा है.
सीतामढ़ी व इसके आसपास के क्षेत्रों में होने वाली की बंबइया आम पूरे देश में प्रसिद्ध है. देश के अल-अलग हिस्सों में इसे बड़े पैमाने पर भेजा जाता है. बंबइया आम पकने के बाद डंठल के पास थोड़ा पीला रंग का हो जाता है. वहीं, आम का बाकी का हिस्सा हरा ही रहता है.
दरभंगा में पाए जाने कलकतिया आम का आकार में बाकी आमों के मुकाबले थोड़ी बड़ी होती है. साथ ही इसके ऊपर के छिलके भी बाकी आमों की अपेक्षा थोड़ी मोटी होती है. इस आम को सीजन का सबसे आखरी आम का फल माना जाता है.
मुंगेर चुरम्बा के दुधिया मालदा को बिहार में आम का राजा माना जाता है. मुंगेर में आम के बगीचे के आसपास आम के समय में सैकड़ों छोटी मोटी दुकानें लग जाती है.
दुधिया मालदा आम मुल्तानी ब्रीड का आम है. ऐसा कहा जाता है कि इन आम के पौधों की दूध सिंचाई होती है. एक दिन जब इस पेड़ में फल आया, तो उसमें से दूध जैसा कोई पदार्थ निकला. जिसके बाद इसका नाम दुधिया मालदा पड़ गया.
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