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Naga Sadhu: कुंभ मेले के बाद कहां गायब हो जाते हैं नागा साधु?

कुम्भ मेला, जो हर 12 साल में एक बार चार पवित्र स्थलों पर आयोजित होता है, लाखों भक्तों को आकर्षित करता है. इस विशाल मेला में विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करने वाले नागा साधु होते हैं, जो अपनी अनूठी उपस्थिति और आध्यात्मिक आचरण के लिए प्रसिद्ध हैं.

कुम्भ मेला: लाखों भक्तों का आध्यात्मिक समागम

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कुम्भ मेला: लाखों भक्तों का आध्यात्मिक समागम

कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है, दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालु इस मेले में शाही स्नान के लिए पहुंचते हैं. इस मेले में नागा साधुओं की खास मौजूदगी देखने को मिलती है.

नागा साधुओं की विशेष पहचान

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नागा साधुओं की विशेष पहचान

इन नागा साधुओं का स्वरूप अनोखा होता है, क्योंकि ये नग्न अवस्था में शरीर पर राख मलकर रहते हैं, जो सांसारिक इच्छाओं से उनकी पूरी तरह मुक्ति को दर्शाता है.

इनका रहस्यमयी रूप और गायब होना

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इनका रहस्यमयी रूप और गायब होना

कुंभ मेले के खत्म होने के बाद लोग अक्सर आश्चर्य करते हैं कि ये साधु कहां चले जाते हैं. इनकी रहस्यमयी जीवनशैली को लेकर कई सवाल उठते हैं.

कुम्भ मेला के बाद एकांत में चले जाते हैं साधु

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कुम्भ मेला के बाद एकांत में चले जाते हैं साधु

ऐसा माना जाता है कि कुंभ मेले के खत्म होने के बाद ये साधु घने जंगलों या गुफाओं में चले जाते हैं. वे वहीं अपनी साधना और ध्यान में लीन रहते हैं.

रात के अंधेरे में यात्रा करते हैं साधु

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रात के अंधेरे में यात्रा करते हैं साधु

नागा साधु अक्सर रात के अंधेरे में अपनी यात्रा करते हैं, ताकि उनकी गतिविधियां बाहरी दुनिया से छिपी रहें.

कोतवाल की भूमिका

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कोतवाल की भूमिका

हर आचार्य इन साधुओं के साथ एक 'कोतवाल' रखता है, जो इनके प्रबंधन की जिम्मेदारी लेता है. वह साधुओं को जंगल में जरूरी सामान और सहायता मुहैया कराता है.

कोतवाल के कर्तव्य

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कोतवाल के कर्तव्य

कोतवाल का मुख्य काम यह सुनिश्चित करना है कि साधुओं को उनकी साधना में कोई व्यवधान न आए और उनकी ज़रूरतें पूरी हों.

नागा साधुओं के जीवन के प्रति जिज्ञासा

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नागा साधुओं के जीवन के प्रति जिज्ञासा

कुंभ मेले के दौरान इन साधुओं की आस्था और भक्ति को देखने के बाद, लोग उनके जीवन के बारे में और अधिक उत्सुक हो जाते हैं.

सांसारिक सुखों से परहेज

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सांसारिक सुखों से परहेज

इन साधुओं का जीवन सांसारिक सुख-सुविधाओं से पूरी तरह मुक्त होता है. वे खुद को केवल आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वर प्राप्ति के लिए समर्पित करते हैं.

आध्यात्मिक मुक्ति की ओर यात्रा

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आध्यात्मिक मुक्ति की ओर यात्रा

कुंभ मेले के बाद इन साधुओं का गायब हो जाना उनके गहन साधना जीवन का एक हिस्सा है, जो दर्शाता है कि वे हर समय ईश्वर के मार्ग पर चलते हैं.