BJP Strategy for Jharkhand Election: अमित शाह ने झारखंड में BJP का तैयार किया चुनावी एजेंडा, आदिवासी वोट बैंक पर प्राइम फोकस तो युवा-महिला वोटर्स के लिए बनाई ये रणनीति
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BJP Strategy for Jharkhand Election: अमित शाह ने झारखंड में BJP का तैयार किया चुनावी एजेंडा, आदिवासी वोट बैंक पर प्राइम फोकस तो युवा-महिला वोटर्स के लिए बनाई ये रणनीति

Jharkhand BJP Manifesto: बीजेपी का यह भी कहना है कि वे झारखंड में अवैध खनन पर अंकुश लगाएंगी और ग्राम पंचायतों को रेत निकालने का अधिकार देंगी. इसके अलावा बीजेपी ने झारखंड के युवाओं के लिए 287500 सरकारी पदों की भर्ती की योजना बनाई है और बेरोजगारी भत्ते की पेशकश की है.

 

BJP Strategy for Jharkhand Election: अमित शाह ने झारखंड में BJP का तैयार किया चुनावी एजेंडा, आदिवासी वोट बैंक पर प्राइम फोकस तो युवा-महिला वोटर्स के लिए बनाई ये रणनीति

Jharkhand Assembly election 2024: झारखंड में बीजेपी अपनी सत्ता में वापसी के लिए कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर बीजेपी का संकल्प पत्र जारी किया, जिसमें आदिवासी समुदाय को लुभाने के लिए कई वादे किए गए हैं. अमित शाह ने बताया कि बीजेपी अगर सत्ता में आती है, तो समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से आदिवासियों को छूट दी जाएगी. अवैध घुसपैठ पर पूर्ण पाबंदी लगाई जाएगी और अवैध खनन पर रोक लगाने के साथ ही कई कल्याणकारी योजनाओं का वादा किया गया है. अब पीएम मोदी भी झारखंड में जाकर राजनीतिक माहौल को बनाने की कोशिश करेंगे.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि बीजेपी ने झारखंड में माटी, रोटी और बेटी के नारे के साथ चुनावी अभियान शुरू किया है, लेकिन इसका मुख्य ध्यान आदिवासी समुदाय को साधने पर है. इसके तहत बीजेपी ने कई वादे किए हैं, जैसे कि यूसीसी से आदिवासियों को बाहर रखना, अवैध खनन पर रोक लगाना और किडनी मरीजों के लिए फ्री डायलिसिस की सुविधा देना. इसके अलावा अग्निवीर जवानों को नौकरी और 2.87 लाख युवाओं को रोजगार देने का भी वादा किया गया है. अमित शाह ने स्थानीय मुद्दों पर चर्चा करते हुए राष्ट्रीय राजनीति पर भी प्रभाव डालने की कोशिश की है, लेकिन उनकी मुख्य रणनीति आदिवासी वोटों को प्राप्त करना है.

अमित शाह ने यह भी कहा कि बीजेपी सत्ता में आने पर आदिवासियों और दलितों के खिलाफ वन विभाग द्वारा दर्ज मामलों को रद्द करने की सिफारिश करेगी. इसके साथ ही ‘सरना धर्म कोड’ पर विचार विमर्श किया जाएगा और झारखंड में उद्योगों और खनन के कारण विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए आयोग का गठन किया जाएगा. बीजेपी अवैध घुसपैठ का मुद्दा उठाकर आदिवासी बेल्ट में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है. अमित शाह ने कहा कि बीजेपी झारखंड में अवैध बांग्लादेशियों के घुसपैठ को पूरी तरह से रोकने का संकल्प लेती है. इसके तहत आदिवासी समुदाय की जमीनों को घुसपैठियों से वापस लेने के लिए एक सख्त कानून बनाने का वादा भी किया गया है. उन्होंने यह सुनिश्चित करने का भी आश्वासन दिया कि आदिवासी महिलाओं से शादी करने वाले घुसपैठियों के बच्चों को आदिवासी दर्जा नहीं दिया जाएगा.

बीजेपी का यह राजनीतिक दांव झारखंड विधानसभा चुनाव में आदिवासी बनाम घुसपैठियों का नैरेटिव बनाने के लिए है, खासकर संथाल परगना के इलाके में जहां बीजेपी को उम्मीद है कि इससे उसे लाभ मिलेगा. झारखंड में लगभग 30% आदिवासी समुदाय को साधने की यह रणनीति जेएमएम का वोट बैंक तोड़ने के लिए मानी जा रही है. अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए बीजेपी ने घोषणा पत्र में खनन गतिविधियों में पारदर्शिता लाने का वादा किया है. शाह ने कहा कि पार्टी झारखंड में अवैध खनन, खास तौर पर अवैध रेत खनन पर अंकुश लगाने का प्रयास करेगी और ग्राम पंचायतों को घाटों से रेत निकालने का अधिकार देगी.

इसके अलावा झारखंड में रोजगार और पलायन एक बड़ा मुद्दा है. बीजेपी ने घोषणा पत्र में 287,500 सरकारी पदों के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया का वादा किया है. इसके अलावा युवाओं को दो साल के लिए 2,000 रुपये प्रति माह का बेरोजगारी भत्ता देने की योजना भी है. बीजेपी ने 2025 तक 1.5 लाख पदों के लिए भर्ती पूरी करने का लक्ष्य रखा है और पांच साल में पांच लाख स्वरोजगार के अवसर पैदा करने का भी वादा किया है. साथ ही महिलाओं को भी लुभाने के लिए बीजेपी ने झारखंड में महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपये पेंशन देने का ऐलान किया है. लक्ष्मी जोहार योजना के तहत सभी घरों को 500 रुपये में एलपीजी गैस सिलेंडर देने का वादा किया गया है, साथ ही दिवाली और रक्षाबंधन पर सालाना दो मुफ्त सिलेंडर भी दिए जाएंगे.

बीजेपी का मुख्य ध्यान आदिवासी समुदाय के वोटों पर है, लेकिन वह महिलाओं और युवाओं का विश्वास भी जीतने की कोशिश कर रही है. चुनावी रणनीति के तहत किसी को सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया गया है और अमित शाह ने चुनावी कमान अपने करीबी नेताओं को सौंप दी है. ऐसे में बीजेपी आदिवासी मुद्दों पर फोकस करके चुनावी मैदान में अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रही है.

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