Jharkhand Politics: गठबंधन के लिए कांग्रेस हानिकारक है, सहयोगियों के साथ कई राज्यों में कर चुकी है साजिश! देखें कैसे?
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Jharkhand Politics: गठबंधन के लिए कांग्रेस हानिकारक है, सहयोगियों के साथ कई राज्यों में कर चुकी है साजिश! देखें कैसे?

Jharkhand Politics: इंडिया गठबंधन के घटक दलों को कांग्रेस से सतर्क रहने की जरूरत है. कांग्रेस पार्टी ने हमेशा अपने सहयोगी की लुटिया डुबोने का काम किया है.

कांग्रेस

Congress Politics: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद देश के सियासी धुरी में अब झारखंड और महाराष्ट्र आ गए हैं. चुनाव आयोग की ओर से दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया गया है. राजनीतिक दलों की सक्रियता झारखंड में काफी देखने को मिल रही है. यहां एनडीए गठबंधन में जैसे ही सीट शेयरिंग का समीकरण सेट हुआ, अगले ही दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राहुल गांधी ने बैठकर इंडिया ब्लॉक में सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला तैयार कर लिया. हालांकि, इस फॉर्मूले को तैयार करने में तेजस्वी यादव की राय तक नहीं ली गई. तेजस्वी दो दिन रांची में रुके लेकिन सीएम हेमंत सोरेन ने उनसे मुलाकात तक नहीं की. जिसके कारण राजद ने नाराज होकर जेएमएम-कांग्रेस की ओर से सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को ठुकरा दिया है.

सीएम सोरेन और राहुल गांधी के फॉर्मूले के मुताबिक, प्रदेश की कुल 81 सीटों में से 70 सीटों पर जेएमएम और कांग्रेस लड़ेगी. बची हुई 11 सीटों को राजद और वामदलों के बीच बांटा जाएगा. हालांकि, राजद को यह पसंद नहीं आया है. राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने साफ कहा है कि उनकी पार्टी के प्रमुख नेताओं की गैर-मौजूदगी में जिस तरह से गठबंधन में सीट बंटवारे का ऐलान किया गया है, उससे पार्टी आहत हुई है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं. वहीं दूसरी ओर एनडीए में बीजेपी ने जो समीकरण सेट किया है, उसे सभी घटक दलों ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया है.

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इस पर सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी के लिए अपने सहयोगियों के साथ सीटों का तालमेल कोई नया मुद्दा नहीं है. उनका कहना है कि बीजेपी हमेशा घटक दलों का सम्मान करती है. लोकसभा 2024 में पार्टी ने बिना संकोच के आजसू को गिरिडीह लोकसभा सीट दे दी थी, जबकि यह सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. बिहार में जेडीयू की कम सीटों के बाद भी नीतीश कुमार को ही सीएम बनाया. इसी तरह से महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे हैं. जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती को भी सीएम बना दिया था. दूसरी ओर इंडिया गठबंधन में कांग्रेस ने हमेशा अपने सहयोगी की लुटिया डुबोने का काम किया है.

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गठबंधन में कांग्रेस इतनी ज्यादा सीटें ले लेती है और उनमें से ज्यादातर हार भी जाती है. इससे एनडीए को सरकार बनाने का रास्ता मिल जाता है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कांग्रेस के कारण ही तेजस्वी यादव सीएम नहीं बन सके. उससे पहले कांग्रेस ने यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में अखिलेश यादव की लुटिया डुबो दी थी. हाल ही में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में भी सहयोगियों के साथ साजिश की. जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस पार्टी ने अपने जनाधार से ज्यादा सीटें नेशनल कॉन्फ्रेंस से लीं और सात सीटों पर उनके खिलाफ भी उम्मीदवार उतार दिए. इन सात सीटों में कांग्रेस पार्टी किसी भी सीट पर मुख्य मुकाबले में नहीं आ सकी, जबकि इस कारण से एनसी 3 सीटें हार गई. हरियाणा में आप को गठबंधन करने का झांसा देकर अंधेरे में रखा और अंतिम समय में इनकार कर दिया. इसके कारण आम आदमी पार्टी अच्छे से चुनाव नहीं लड़ सकी.

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