INDI Alliance: नीतीश कुमार के साथ तो नाइंसाफी हो गई. जब विपक्ष को एकजुट करना था, तब उनका इस्तेमाल किया गया और अब पद देने की बारी आई तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भारी पड़ गए. खबर आ रही है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से नाराज हो गए हैं.
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नीतीश कुमार का राष्ट्रीय राजनीति में जाने का सपना टूटता नजर आ रहा है. INDI Alliance की दिल्ली में मंगलवार को हुई चौथी बैठक के बाद से जो बातें सामने आ रही हैं, उसके आधार पर तो यही कहा जा सकता है. बैठक से बाहर निकले कई नेताओं ने बताया कि टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इंडिया के संयोजक पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव रखा तो आम आदमी पार्टी प्रमुख और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक कदम और आगे बढ़कर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए खड़गे के नाम का प्रस्ताव रख दिया. ये दोनों बातें सीएम नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को रास नहीं आई होगी. बताया जा रहा है कि प्रेस कांफ्रेंस से पहले ही नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और मनोज झा होटल से निकल गए. इससे पहले बेंगलुरू की बैठक से भी नीतीश कुमार, लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव साझा प्रेस ब्रीफिंग से आगे निकल गए थे.
दिल्ली की बैठक से नीतीश कुमार और लालू यादव के अलावा तेजस्वी यादव और मनोज झा के बाहर निकलने के बाद से उनकी नाराजगी की खबरें आ रही हैं. बताया जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे बढ़ने से गठबंधन में दरार की बात भी सामने आ रही है. साझा प्रेस कांफ्रेंस से बाहर निकलने से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि हो सकता है कि कांग्रेस अध्यक्ष का नाम संयोजक और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में आगे बढ़ाए जाने से बिहार के ये नेता नाराज हो गए हों. उनकी नाराजगी स्वाभाविक भी है.
जब विपक्षी गठबंधन के लिए कोई आगे नहीं आ रहा था, तब नीतीश और तेजस्वी ने मिलकर पूरे देश में विपक्षी दलों के नेताओं से मिलकर एक सहमति बनाई और पटना में एक बैनर तले बैठक में आने को लेकर मनाया. दिल्ली में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मिलकर एक खाका खीचा. नीतीश कुमार खुद कोलकाता से लेकर लखनऊ, भुवनेश्वर, रांची और मुंबई तक दौड़ लगाते रहे.
तेजस्वी यादव ने चेन्नई जाकर डीएम प्रमुख एमके स्टालिन को राजी किया. कश्मीर के नेताओं नेशनल कांफ्रेंस के फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को भी बैठक में बुलाया गया. यह नीतीश कुमार की कोशिशों का ही नतीजा रहा कि कांग्रेस के धुर विरोधी तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होने को राजी हो गईं.
अब जब मेहनत का नतीजा हासिल करने का समय आया तो नीतीश कुमार का नाम कही नहीं था. जिन दलों को पहले कांग्रेस सुहाती नहीं थी, उसी के अध्यक्ष को गठबंधन का संयोजक और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में आगे बढ़ाने पर ये दल सहमति जता रहे हैं. कल तक ये दल कांग्रेस के साथ एक मेज पर बात करने को राजी नहीं थे. अब नीतीश कुमार ने मंच मुहैया करा दिया तो ये दल कांग्रेस के साथ हो लिए.
कुल मिलाकर विपक्ष को एकजुट करने वाले नीतीश कुमार अब शायद गठबंधन में ही अलग थलग पड़ गए हैं. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की दिक्कत यह है कि उनके बीच जो महागठबंधन बना है, उसका आधार ही यही है कि नीतीश कुमार राष्ट्रीय राजनीति में शिफ्ट होंगे तो तेजस्वी यादव को बिहार का ताज सौंप दिया जाएगा. अब जबकि नीतीश कुमार की शिफ्टिंग ही नहीं हो पा रही है तो तेजस्वी यादव की ताजपोशी कैसे होगी. इसी वजह से नीतीश के साथ साथ लालू प्रसाद यादव भी नाराज हैं. देखना यह है कि इन दोनों प्रमुख नेताओं की नाराजगी से INDI Alliance पर कोई असर होता है या नहीं.