Ranchi News: झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने रांची के एसएसपी पर जेएमएम कार्यकर्ता होने का आरोप लगाया था. अब इस पर रांची पुलिस ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर खंडन किया है. पुलिस ने पोस्ट कर लिखा कि एसएसपी और अन्य पदाधिकारियों द्वारा कार्यकर्ताओं से लगातार अनुरोध किया जा रहा था कि वे पत्थर न चलाएं, बैरिकेड न तोड़ें और अपना कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से चलाएं. बता दें कि साल 2019 में सराईकेला में JMM नेता को हिरासत में भेजा था.
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Ranchi: बाबूलाल मरांडी के रांची के एसएसपी पर लगाए आरोप का रांची पुलिस ने खंडन किया. रांची पुलिस ने कहा कि साल 2019 में सराईकेला में JMM नेता को हिरासत में भेजा था. दरअसल, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के बाबूलाल मरांडी ने रांची एसएसपी पर जेएमएम कार्यकर्ता की तरह काम करने का आरोप लगाया था. यह आरोप बीजेपी की युवा आक्रोश रैली के दौरान पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ता के बीच हुए झड़प के बाद लगाया गया था.
इस आरोप का रांची पुलिस ने खंडन किया. साथ ही कहा कि आपके द्वारा रांची पुलिस के ऊपर लगाए गए सभी आरोप तथ्य से सर्वथा परे और निराधार हैं. पुलिस द्वारा सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया गया है. सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध वीडियो फुटेज का यदि निष्पक्ष अवलोकन किया जाए, तो ज्ञात होगा कि रांची पुलिस ने संयम का परिचय देते हुए, विधि-व्यवस्था संधारण के लिए कम बल प्रयोग किया है.
रांची पुलिस ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि एसएसपी और अन्य पदाधिकारियों द्वारा कार्यकर्ताओं से लगातार अनुरोध किया जा रहा था कि वे पत्थर न चलाएं, बैरिकेड न तोड़ें और अपना कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से चलाएं. सांसदों और विधायकों से भी अनुरोध किया जा रहा था कि वे कार्यकर्ताओं को ऐसा करने से रोकें, परंतु इसके बावजूद पुलिसकर्मियों पर बड़े-बड़े पत्थर बरसाए गए और बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास जारी रहा,जिससे कुछ पुलिस पदाधिकारी एवं कर्मी घायल भी हुए हैं.
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— Ranchi Police (@ranchipolice) August 25, 2024
रांची पुलिस के द्वारा कहा गया कि कई कार्यकर्ता पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकते समय भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे. इस दृश्य के परिप्रेक्ष्य में मीडिया द्वारा पूछे जाने पर ही एसएसपी रांची द्वारा यह बयान दिया गया था. इसे आपत्तिजनक कहना सही नहीं होगा.
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पुलिस ने कहा कि अपनी जिम्मेदारियों को छोड़, झामुमो कार्यकर्ता की तरह कार्य करने के आरोप के संबंध में बता दें कि एसएसपी चंदन सिन्हा रांची जब एसपी सरायकेला-खरसावां (2017-18) के रूप में पदस्थापित थे, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में व्यवधान पहुंचाने का प्रयास कर रहे झामुमो कार्यकर्ताओं को कड़ाई से न केवल रोका गया था, बल्कि प्राथमिकी दर्ज कर तत्कालीन झामुमो जिलाध्यक्ष को हिरासत में भी भेजा गया था.
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मुख्यमंत्री का पद एक उच्चस्तरीय संवैधानिक पद है, जिसकी सुरक्षा के सभी पहलू संवेदनशील होते हैं और इसके संधारण के लिए पुलिस को दृढ़ रहना ही पड़ता है. जय हिंद.
रिपोर्ट: कामरान जलीली
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