सजा के तौर पर शुरू हुई थी दही-चूड़ा खाने की शुरुआत!

K Raj Mishra
Jan 15, 2025

दही-चूड़ा को दुनिया का सबसे आसान नाश्ता भी कहा जा सकता है.

डॉक्टर्स भी इसे सबसे बेहतर नाश्ता मानते हैं. यह आपके पाचन को भी दुरुस्त रखता है.

बिहार में मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा खाने की परंपरा है.

इस दिन नेताओं की ओर से दही-चूड़ा भोज आयाजित करने का रिवाज है.

बिहार की राजनीति में दही-चूड़ा की पॉलिटिक्स शतरंज के किसी चाल से कम नहीं है.

इस कार्यक्रम में पुराने गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं तो कई बार नाराजगी भी सामने आ जाती है.

कुछ लोग तो निमंत्रण देकर खुद ही कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंचते हैं और चर्चा में आ जाते हैं.

कहते हैं कि दही-चूड़ा खाने की शुरुआत पश्चिम बंगाल में सजा के तौर पर हुई थी.

कथाओं के अनुसार, चैतन्य महाप्रभु ने बंगाल के रघुनाथदास को सजा के तौर पर दही-चूड़ा बांटने की सजा दी थी.

पानीहटी में हर साल 15 जून को यह महोत्सव मनाया जाता है. यहीं से दही-चूड़ा खाने की शुरुआत हुई थी.

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