OTP का कब शुरू हुआ प्रचलन, कहां और क्यों हुई थी इसकी शुरुआत?
PUSHPENDER KUMAR
Nov 24, 2024
ओटीपी की शुरुआत का इतिहास
ओटीपी का प्रचलन सबसे पहले 1980 के दशक में हुआ. इसके शुरुआती रूप में इसे ‘वन-टाइम पैटर्न’ के नाम से जाना जाता था. इसे विशेष रूप से सैन्य और बैंकिंग सिस्टम्स में इस्तेमाल किया गया था, ताकि महत्वपूर्ण जानकारी को सुरक्षित रखा जा सके.
ओटीपी की शुरुआत किस देश में हुई थी?
ओटीपी का सबसे पहला इस्तेमाल अमेरिका में हुआ था. अमेरिका में बैंकिंग और सैन्य सुरक्षा के लिए इसकी शुरुआत की गई थी. इन क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए विशेष उपायों की आवश्यकता थी और ओटीपी ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
ओटीपी की तकनीकी आवश्यकता
ओटीपी की जरूरत तब महसूस की गई जब ऑनलाइन धोखाधड़ी और हैकिंग के मामले बढ़ने लगे. इसके चलते यह महसूस किया गया कि एक स्थिर और हमेशा एक जैसा पासवर्ड हैकर्स के लिए आसान लक्ष्य हो सकता है.
ओटीपी के फायदे
ओटीपी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह एक बार उपयोग करने के बाद स्वतः निष्क्रिय हो जाता है. इसका मतलब है कि भले ही कोई व्यक्ति ओटीपी को चुरा ले, वह उसे दोबारा इस्तेमाल नहीं कर सकता.
ओटीपी के प्रकार
ओटीपी दो प्रकार के होते हैं
1. संपर्क आधारित ओटीपी: जो मोबाइल फोन या ईमेल द्वारा भेजा जाता है.
2. टाइम-बेस्ड ओटीपी: जो एक निर्धारित समय सीमा के लिए वैध रहता है और एक बार उपयोग करने के बाद खत्म हो जाता है.
बैंकिंग क्षेत्र में ओटीपी का उपयोग
ओटीपी का सबसे पहले बैंकिंग क्षेत्र में उपयोग शुरू हुआ. जब इंटरनेट बैंकिंग का चलन बढ़ा, तब ओटीपी को ग्राहकों के खातों को सुरक्षित करने के लिए इस्तेमाल किया गया. इसके बाद, यह अन्य ऑनलाइन सेवाओं में भी शामिल किया गया.
भारत में ओटीपी का महत्व
भारत में ओटीपी का चलन 2000 के दशक में बढ़ा, खासकर जब भारतीय सरकार ने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना शुरू किया. भारत सरकार की प्रधानमंत्री जन धन योजना और डिजिटल इंडिया अभियान ने ओटीपी के उपयोग को और भी बढ़ावा दिया.
ओटीपी का इस्तेमाल बढ़ने के कारण
ओटीपी का इस्तेमाल इसलिए बढ़ा क्योंकि यह उपयोगकर्ताओं को वास्तविक समय में सुरक्षा प्रदान करता है. ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए यह एक अतिरिक्त सुरक्षा परत की तरह कार्य करता है.
ओटीपी और साइबर सुरक्षा
ओटीपी के बढ़ते उपयोग ने साइबर सुरक्षा में एक नई क्रांति लाई है. यह हैकिंग के खतरों से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय बन गया है, विशेषकर तब जब पासवर्ड आधारित सुरक्षा प्रणाली कमजोर साबित हो रही थी.