AIIMS: इलाज में देरी से कोई नहीं तोड़ेगा दम, अगले साल खुलेगा हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर
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AIIMS: इलाज में देरी से कोई नहीं तोड़ेगा दम, अगले साल खुलेगा हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर

AIIMS News Update: एम्स ट्रॉमा सेंटर का प्रबंधन देख रहे डॉ. अनंत ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय की स्वीकृति मिल चुकी है. हाइब्रिड ओटी के लिए जगह तय हो चुकी है. इसमें एक ही जगह सारे टेस्ट, प्रोसीजर और सर्जरी हो सकेगी.

AIIMS: इलाज में देरी से कोई नहीं तोड़ेगा दम, अगले साल खुलेगा हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर

AIIMS Hybrid Operation Theatre: बीमार होने या सर्जरी के वक्त मरीज के परिजन को सबसे बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है कि उसे मरीज के साथ कभी टेस्ट तो कभी अन्य प्रोसीजर के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है, लेकिन अब उनकी ये समस्या हाइब्रिड ऑपरेशन थियेटर दूर करेगा. देश का पहला हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर (Country First Operation Theatre) एम्स में बनाया जा रहा है. एक्सीडेंट के शिकार और दूसरे इमरजेंसी मरीजों को त्वरित मेडिकल असिस्टेंस दी जा सकेगी. 

इस ऑपरेशन थिएटर में एक ही छत के नीचे सभी टेस्ट होंगे. इंटरवेंशन रेडियोलॉजी प्रोसीजर भी किया जाएगा. इसे आसान भाषा में कहा जाए तो मरीज के अंदर एक पतले से तार यानी कैथेटर डालकर उसके अंदरूनी हालात को दूरबीन की मदद से स्क्रीन पर जूम इन/आउट करके देखा जा सके और इसी जगह पर मरीज की सर्जरी भी हो सके.

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ये सब काम आमतौर पर सभी अस्पतालों में अलग-अलग जगह होते हैं. सीटी स्कैन (CT Scan) एक जगह, एमआरआई (MRI) दूसरी जगह, इंटरवेंशन किसी और जगह और सर्जरी के लिए अलग ऑपरेशन थिएटर होता है, लेकिन कई बार इस व्यवस्था का नुकसान ऐसे मरीजों को उठाना पड़ता है जो सड़क हादसों के शिकार होते हैं या किसी ट्रॉमा जैसे दिमाग की नस फटने जैसे हादसों के शिकार होकर अस्पताल पहुंचते हैं.

पहले उन्हें स्कैन के लिए एक जगह ले जाया जाता है, फिर सर्जरी के लिए दूसरी जगह. इस प्रक्रिया में काफी वक्त बर्बाद हो जाता है और कई बार मरीज की जान असल इलाज शुरू होने से पहले चली जाती है, लेकिन अब ये सिस्टम बदल रहा है और इसकी शुरुआत दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर से होने वाली है.  

इस तरह होगा मशीनों का इस्तेमाल 
एम्स ट्रॉमा सेंटर में सड़क हादसों के शिकार लोगों को लाया जाता है. इमरजेंसी पड़ने पर कई बार मरीज की जान बचाने के लिए डॉक्टरों के पास वक्त बहुत कम होता है. ऐसे में इस तरह के बेहद गंभीर मरीजों को सीधे ओटी में यानी ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जा सकेगा और इलाज तुरंत शुरू हो जाएगा.

दरअसल जांच में इस्तेमाल होने वाली सभी मशीनें बेहद महंगी होती हैं, लिहाजा कोई भी अस्पताल इन्हें एक ओटी में हमेशा के लिए ब्लॉक नहीं करके रख सकता. एम्स के ओटी में भी सीटी स्कैन और एमआरआई की मशीनें व्हील्स पर यानी पहियों पर होंगी,  जो साथ के एक कमरे में रहेंगी। ऐसा होने से मशीन खाली होने पर बाकी मरीजों के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा. 

2024 में मिलेगी हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर की सुविधा 
हालांकि इस योजना पर एम्स में 2021 से काम चल रहा है और इस मॉडल हाइब्रिड ओटी के लिए जगह निश्चित की जा चुकी है. मशीनों के लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है. एम्स ट्रॉमा सेंटर के चीफ डॉ. कामरान फारुखी को उम्मीद है कि अगले वर्ष तक यानी 2024 में ऑपरेशन थिएटर चालू हो जाएगा. AIIMS Trauma Centre का प्रबंधन देख रहे डॉ. अनंत के मुताबिक इस पूरे सिस्टम को एक साथ लाकर चालू करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन अब काम ने स्पीड पकड़ ली है.   

दिल्ली में सिर्फ दो ट्रॉमा सेंटर 
एम्स ट्रॉमा सेंटर में रोजाना 200 मरीज आते हैं. एक समय पर औसतन 45-50 मरीजों का इलाज चल रहा होता है. अस्पताल में इस समय 200 से ज्यादा बेड्स हैं. कुल 5 ऑपरेशन थिएटर हैं, जिन्हें बढ़ाकर 10 किया जाना है. हाइब्रिड ओटी की बात 2021 से चल रही है, लेकिन सच ये है कि भारत में ट्रॉमा सेंटर की भारी कमी है. दिल्ली में केवल दो ट्रॉमा सेंटर हैं – एक केंद्र के तहत आने वाले स्वायत्त अस्पताल एम्स का और दूसरा दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल के तहत आने वाला सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर। देश को ऐसे कई और ट्रॉमा सेंटर की जरूरत है. इसकी वजह से कई मररजों को समय पर इलाज की जगह केवल इंतजार ही मिलता है.

 

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