Bhiwani Hindi News: राष्ट्रीय स्वयं संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ ने केंद्र सरकार के खिलाफ हुंकार भरी. संगठन मंत्री सुरेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों के लिए विशेष सत्र बुलाकर किसानों के भाग्य पर केंद्र सरकार चर्चा करें. साथ ही कहा कि सरकार व ब्यूरोकरेट किसानों के हितों के बारे में नहीं सोच रहे. उन्हे सिंधु बॉर्डर वाला रास्ता ही पसंद है.
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Bhiwani News: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा भारतीय किसान संघ ने हरियाणा में किसानों की समस्याओं को उठाने के लिए संगठनात्मक रूप से मजबूत होने का कार्य शुरू कर दिया है. इसके तहत भारतीय किसान संघ दिसंबर महीने तक प्रदेश के 2200 गांवों में सदस्यता अभियान चलाकर साढ़े चार लाख के लगभग किसानों को भारतीय किसान संघ से जोड़ा जाएगा. यह कार्य प्रदेश में 800 के लगभग किसान टोलियों के माध्यम से संचालित किया जाएगा. इसको लेकर भारतीय किसान संघ के पांच राज्यों के संगठन मंत्री सुरेंद्र सिंह ने भिवानी के संघ कार्यालय में बैठक आयोजित कर दिशा-निर्देश दिए.
संगठन मंत्री सुरेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों को लाभकारी मूल्य मिले, इसके लिए राष्ट्रीय स्वयं संघ से जुड़ा भारतीय किसान संघ निरंतर जनता के बीच जा लोगों को जागरूक कर रहा है. उन्होंने कहा कि ब्यूरो करेट व नीजि कंपनियों की सांठ-गांठ के चलते किसानों का शोषण हो रहा है. हाईब्रीड बीज के नाम पर बाजार में साढ़े 6 लाख करोड़ का बाजार बन गया है. वहीं फसलों पर एक लाख करोड़ रुपये का जहर कीट उपचार के नाम पर बाजार तैयार हो गया है. इसके साथ ही 30 हजार करोड़ का बाजार खरपतवार नाशक का तैयार हो गया है. ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि वह लोकसभा में विशेष सत्र बुलाकर किसान के भाग्य पर चर्चा करें, जिससे कि किसान का उद्धार हो सकें.
उन्होंने आरोप लगाया कि जैनेटिक बीजों का प्रयोग सरसों व कपास की फसलों में हरियाणा प्रदेश में शुरू हो गया है. प्रशासन व सीआईडी तंत्र को इसकी बिल्कुल भी सूचना नहीं है. उन्होंने सो रहे तंत्र को जगाने की बात कहते हुए कहा कि जैनेटिक बीजों के प्रयोग से ना केवल गुणवत्ता में कमी आएगी, बल्कि तेल व शहद की क्वालिटी भी खराब होगी. ऐसे में इन नए प्रयोगों पर सरकार को रोक लगानी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों के खिलाफ नीतियों के चलते केंद्र सरकार ने पुशा जैसे कृषि अनुसंधान केंद्रों का बजट आधा कर दिया है. जबकि इस बजट को बढ़ाया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि किसान की उइपेक्षा किसी भी सरकार को भारी पड़ती है. भारत देश कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाला देश है. इस देश में जो राजनीतिक दल किसान की बात करेगा, वही राज करेगा. उन्होंने कहा कि 2024 के चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार को किसानों के पक्ष में फैसले लेने चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार व ब्यूरोकरेट किसानों के हितों के बारे में नहीं सोच रहे. उन्हे सिंधु बॉर्डर वाला रास्ता ही पसंद है.
Input: Naveen Sharma