चीन के शहर होंगझू में आयोजित पैरा एशियन खेलों (China Para Asian Games) में भिवानी जिला के गांव दिनोद की अरूणा तंवर ने 44 से 47 किलोग्राम भार वर्ग में ताईक्वांडो खेल में कांस्य पदक लेने वाली देश की पहली खिलाड़ी बन गई है.
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Bhiwani News: चीन के शहर होंगझू में आयोजित पैरा एशियन खेलों (China Para Asian Games) में भिवानी जिला के गांव दिनोद की अरूणा तंवर ने 44 से 47 किलोग्राम भार वर्ग में ताईक्वांडो खेल में कांस्य पदक लेने वाली देश की पहली खिलाड़ी बन गई है. सोमवार शाम अरूणा ने अपनी चीनी प्रतिद्वंदी खिलाड़ी चेन टोंग को हराकर कांस्य पदक जीतकर एक बार फिर से यह साबित किया है कि बेटियां बेटों से किन्ही भी मायनों में कम नहीं है. 23 वर्षीय पैरा ताईक्वांडो खिलाड़ी अरूणा तंवर ने चाईना के खिलाड़ी को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया है. जिसके बाद वह विश्व की चौथे नंबर की ताईक्वांडो खिलाड़ी बन गई है. उनकी इस जीत के बाद उनके परिवार में खुशी का माहौल है. अरूणा के परिजन व रिश्तेदार उसके परिजनों को मिठाई खिलाकर बधाई दे रहे है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर अरूणा को सफलता के लिए बधाई दी है. अरूणा का लक्ष्य 2024 के पैरिस में आयोजित पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है.
Congratulations to Aruna on winning the Bronze Medal in Taekwondo - Women's K44 -47KG event. Her dedication and skill have truly made the nation proud. Here's to many more achievements in the future! pic.twitter.com/K49Aq0Nuff
— Narendra Modi (@narendramodi) October 23, 2023
अरूणा के पिता नरेश व दादा सूबेदार छत्तर सिंह ने बताया कि अरूणा का बचपन से ही ताईक्वांडो खेल से लगाव था. वह टूर्नामेंट नहीं होती, तब भी अपनी प्रैक्ट्सि निरंतर जारी रखती थी. इसी के चलते वह देश के पैरा एशियन गेम्स में देश के लिए कांस्य पदक लेकर आई. उन्होंने कहा कि दशहरे के पर्व पर उनकी लाड़ली बेटी ने उन्हे बड़ी खुशी दी है. चीन से लौटने पर वे बेटी का भव्य स्वागत करेंगे. उन्होंने कहा कि चोट लगने के कारण बेटी अरूणा गोल्ड मेडल नहीं ला पाई, लेकिन उनका गोल्ड मेडल का यह सपना 2024 के पैरिस में आयोजित होने वाले पैरा ओलंपिक खेलों में जरूर पूरा करेगी. अरूणा की मां सोनिया देवी, भाई सुनील कुमार, बहन डा. इंदु व हर्षिता ने बताया कि अरूणा ने पैरा एशियन गेम्स में मेडल जीतकर उनके गांव व परिवार का मान बढ़ाया है. उन्होंने बताया कि अरूणा से प्रेरणा लेकर अब उनके परिवार व देश-प्रदेश की बेटियां भी खेलने के लिए आगे बढेंगी. उन्होंने बताया कि अरूणा बचपन में ही दिव्यांग होने के बावजूद सामान्य वर्ग के खिलाडियों के साथ ताईक्वांडो खेलती रही है. उसकी निरंतर मेहनत का नतीजा है कि उसने आज देश का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चमकाया है. परिजनों ने कहा कि आज उन्हे बिल्कुल भी महसूस नहीं होता कि अरूणा किन्ही भी मायनों में दिव्यांग खिलाड़ी है.
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भिवानी जिला के गांव दिनोद की दिव्यांग खिलाड़ी अरूणा तंवर ने एक साधारण परिवार से उठकर पैरा ओलंपिक व पैरा एशियन खेलों तक का सफर तय किया हैं. इस सफर के पीछे अरूणा तंवर के परिवार व खुद का संघर्ष भी छिपा हुआ हैं. अरूणा की उपलब्धियों की बात करें तो साल 2017-18 में पांचवे राष्ट्रीय पैरा ओलंपिक ताईक्वांडो प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल, वर्ष 2018-19 में छठे राष्ट्रीय पैरा ओलंपिक ताईक्ववांडो प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल, वर्ष 2018 में वियतनाम में हुई चौथे एशियन पैरा ओलंपिक ताईक्वांडो प्रतियोगिता में सिल्वर मैडल, फरवरी 2019 में टर्की में आयोजित वल्र्ड पैरा ताईक्वांडो चैंपियनशिप में ब्रांज मैडल, मार्च 2019 में ईरान में हुई प्रेजीडेंट एशियन रीजन जी-टू कप में सिल्वर मैडल, वष्ज्र्ञ 2019 में ही जार्डन में हुई अमान एशियन पैरा ताईक्वांडो चैंपियनशिप में ब्रांज मैडल हासिल करने में सफलता प्राप्त की हैं.
अरूणा ने वर्ष 2016 में उन्होंने ताईक्वांडो खेल को अपनाया. इससे पहले वे दिव्यांग होते हुए भी सामान्य वर्ग में खेलती रही थी. अरूणा के पिता एक निजी कंपनी में ड्राईवर है तथा माता घरेलू महिला हैं. अरूणा के परिजनों ने कर्ज लेकर व आभूषण को गिरवी रखकर अरूणा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए धन जुटाया. परिजनों का संघर्ष ही है कि आज अरूणा देश के लिए पैरा एशियन खेलों में मैडल लाने में सफल हो पाई हैं. अरूणा की इन उपलब्धियों से पहले परिजनों को अरूणा के दिव्यांग होने का दुख होता था, परन्तु अरूणा की मेहनत व उपलब्धियों ने उनके परिजनों की चिंता को न केवल दूर किया, बल्कि दिव्यांगता को ही वरदान बना दिया हैं. अरूणा के पैरा एशियन खेलों कांस्य पदक प्राप्त करने के बाद परिजनों को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ हैं.
INPUT: NAVEEN SHARMA