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नई दिल्ली: दिल्ली में गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नंबर का ट्रांसफर कराने की समय सीमा 3 महीने है. इसके लिए परिवहन विभाग को 30 हजार रुपये फीस देनी पड़ती है. अगर 3 महीने में दूसरी गाड़ी नहीं आ पाती और समय बीत जाता है, जिससे कि फीस जब्त हो जाती है. इससे दिल्ली के लोग और व्यापारी खासे परेशान हैं.
इस समस्या पर चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को पत्र लिखा है. मंत्री से गुहार लगाई है कि सरकार कुछ विकल्पों के जरिये दिल्लीवालों को राहत दे सकती है. सीटीआई चेयरमैन और ऑटोमोबाइल कारोबारी बृजेश गोयल ने बताया कि हमारी पहली मांग है कि रजिस्ट्रेशन नंबर के ट्रांसफर की वेलिडिटी 6 से 9 महीने तक बढ़ाई जाए. दूसरी मांग है कि समय पर गाड़ी नहीं मिलने और नंबर ट्रांसफर नहीं हो पाने की स्थिति में 30 हजार रुपये वापस किए जाएं. तीसरी, अगर गाड़ी 6 से 9 महीने बाद मिले, तो इन्हीं 30 हजार रुपये की फीस को नई गाड़ी के नंबर ट्रांसफर में एडजस्ट किया जाए.
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन बृजेश गोयल ने बताया कि दिल्ली में बहुत से लोगों को नई गाड़ियों में लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. नई गाड़ियों के लिए 6 महीने से 12 महीने लग रहे हैं, कई गाड़ियों में लगने वाले पार्ट्स विदेशों से समय पर बनकर नहीं आ रहे हैं, इससे प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है. गाड़ियां तैयार होने में वक्त लग रहा है. बहुत से लोग चाहते हैं कि उनकी पुरानी गाड़ी का नंबर ही नई गाड़ी में ट्रांसफर हो जाए.
बृजेश गोयल ने कहा कि अगर मनपसंद गाड़ी 3 महीने बाद मिलती है, तो नंबर ट्रांसफर फीस और नंबर खोने का डर बना रहता है. इसी तरह बहुत से लोग भारी-भरकम रकम खर्च कर ऑक्शन में वीआईपी नंबर लेते हैं, वो भी नई गाड़ी में पुराने वीआईपी नंबर का ट्रांसफर चाहते हैं. अगर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट पॉलिसी में चेंज करेगा तो उपभोक्ताओं के साथ व्यापारियों को भी लाभ मिलेगा. बहुत से लोग गाड़ियों की लंबी वेटिंग की वजह से बुकिंग नहीं करवा पा रहे हैं. नंबर बचाने के लिए तरह-तरह की जद्दोजहद में लोग लगे हैं.