दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार की CAG रिपोर्ट्स पर कार्रवाई में देरी के लिए सरकारी की इमानदारी पर संदेह किया. कोर्ट ने कहा कि आपकी देरी से यह संदेह होता है कि आपकी नीयत क्या है?
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Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार की CAG रिपोर्ट्स पर कार्रवाई में देरी के लिए सरकारी की ईनामदारी पर संदेह किया. कोर्ट ने कहा कि आपकी देरी से यह संदेह होता है कि आपकी नीयत क्या है? हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को रिपोर्ट्स को तुरंत स्पीकर को भेजकर विधानसभा में चर्चा शुरू करनी चाहिए थी.
जस्टिस सचिन डत्ता की पीठ ने दिल्ली सरकार के सीएजी रिपोर्ट्स के प्रबंधन पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि समय सीमा स्पष्ट है. आप जानबूझकर देरी कर रहे हैं ताकि सत्र न हो सके. कोर्ट ने यह भी कहा कि रिपोर्ट्स का एलजी वीके सक्सेना को भेजने में देरी और इस मुद्दे का प्रबंधन सरकार की नीयत पर संदेह उठाता है.
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार को स्पीकर को रिपोर्ट्स भेजने में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी. इसके जवाब में, दिल्ली सरकार ने चुनावों के निकटता का हवाला देते हुए कहा कि सत्र कैसे आयोजित किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने आज दोपहर के भोजन के बाद मामले की विस्तृत सुनवाई करने का आश्वासन दिया.
पिछली सुनवाई में, दिल्ली विधानसभा सचिवालय ने अदालत को बताया कि सीएजी रिपोर्ट्स को विधानसभा में पेश करने का कोई लाभ नहीं है, क्योंकि इसका कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो रहा है. यह जानकारी भाजपा के सात विधायकों द्वारा दायर याचिका के जवाब में दी गई थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार, विधानसभा के स्पीकर और अन्य उत्तरदाताओं से भाजपा विधायकों की याचिका पर जवाब मांगा. याचिका में 14 सीएजी रिपोर्ट्स को पेश करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई थी. दिल्ली सरकार ने अदालत को सूचित किया कि सभी 14 रिपोर्ट्स स्पीकर को भेजी जा चुकी हैं.
भाजपा विधायकों के वकील विजेंद्र गुप्ता ने तर्क किया कि एक सदस्य के रूप में उन्हें रिपोर्ट्स प्राप्त करने और उन पर चर्चा करने का अधिकार है. उन्होंने अदालत से स्पीकर को विशेष सत्र बुलाने का निर्देश देने का अनुरोध किया. हालांकि, अदालत ने कहा कि वह तुरंत स्पीकर को आदेश नहीं दे सकती और दोनों पक्षों को सुनने की आवश्यकता है.
दिल्ली सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया और काउंटर-एफिडेविट दाखिल करने का इरादा व्यक्त किया. गुप्ता के वकील ने कहा कि यह मुद्दा राजनीतिक नहीं बल्कि सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने का है, और यह चुनाव घोषणाओं से पहले हल किया जाना चाहिए.