Delhi News: 2003-2004 में कांग्रेस सरकार के दौरान राजीव गांधी हाउसिंग स्कीम (RGHS-I) और 2006-2007 में नरेला और बवाना में RGHS-II की शुरुआत की गई गई, लेकिन लीज डीड में देरी से आवंटियों को अब तक फ्लैट नहीं मिल पाए हैं.
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LG VK Saxena: अगर दो दशक के लंबे इंतजार के बाद अब प्रशासनिक तंत्र ने काम को गंभीरता से लिया तो जल्द ही दिल्ली में 5311 आवंटियों को उनके घर मिल जाएंगे. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने उत्तर पश्चिम दिल्ली के बवाना और नरेला की विभिन्न योजनाओं के तहत फ्लैटों के आवंटन के लिए जरूरी एक समान लीज डीड के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है. उपराज्यपाल ने दो दशकों से अधिक समय से राजीव गांधी हाउसिंग स्कीम 1 और 2 के तहत आवंटियों को फ्लैटों के आवंटन के लिए लीज डीड को अंतिम रूप देने में देरी के लिए डीएसआईआईडीसी (DSIIDC) की आलोचना की. साथ ही प्रशासनिक विभाग को मामले की सुनवाई में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
दरअसल बवाना में वर्ष 2003-2004 में राजीव गांधी हाउसिंग स्कीम (RGHS-I) और 2006-2007 में नरेला और बवाना में RGHS-II की शुरुआत की गई थी, लेकिन फ्लैटों के आवंटन के लिए जरूरी लीज डीड का मसौदा उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए जनवरी 2024 में आया. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने प्रशासनिक सचिव को विभाग में इस तरह के मामलों (जिनमें बेवजह की अत्यधिक देरी हुई है) की समीक्षा करने और उन पर शीघ्रता से कार्रवाई करने का निर्देश दिया. साथ ही इन्हें दोबारा तीन सप्ताह के भीतर पेश करने को कहा.
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2019 में तत्कालीन उपराज्यपाल द्वारा डीएसआईडीसी को निर्देश दिए जाने के बावजूद लीज डीड को अंतिम रूप देने के लिए मामले को प्रस्तुत करने में लगभग 5 वर्षों की देरी हुई. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने डीएसआईडीसी को फटकार लगाते हुए फाइल में लिखा कि यह देखना चौंकाने वाला है कि 2003-2004 में पहली हाउसिंग स्कीम की शुरुआत से लगभग दो दशक बीत जाने के बाद भी लीज डीड के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है.
उन्होंने कहा, इस मामले में अब किसी भी तरह की देरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सक्सेना ने इस काम को तय समय सीमा के अंदर पूरा करने के निर्देश दिया.
कब और किस योजना में थे कितने फ्लैट
राजीव गांधी आवास योजना (RGHS)-I के तहत 2006-07 में व्यक्तिगत इंडस्ट्रियल वर्कर्स को 2820 आवंटन , RGHS--II (2014 और 2017 में क्रमश:150 और 405 व्यक्तिगत औद्योगिक श्रमिकों को आवंटन) शामिल है. इसके अलावा 2010 में प्रगति पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीपीसीएल) के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) के माध्यम से 384 फ्लैटों का संस्थागत आवंटन (Institutional Allotment), 2012 और 2015-18 में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के साथ हुए समझौता ज्ञापन (MoU) के माध्यम से 512 और 1040 फ्लैटों का संस्थागत आवंटन शामिल है.
इंडस्ट्रियल वर्कर्स को दिए जाने थे घर
1996 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए दिल्ली में नॉन कंफर्मिंग एरिया (गैर-अनुरूप क्षेत्रों) में चल रहे उद्योगों को, औद्योगिक क्षेत्रों-बवाना और नरेला में स्थानांतरित कर दिया गया था. ऐसे में इंडस्ट्रियल वर्कर्स को किफायती आवास प्रदान करने के लिए और उन क्षेत्रों के आसपास जेजे कॉलोनी की क्लस्टरिंग न बन सकें, इसके लिए दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) ने कम लागत वाली आवास योजनाएं शुरू की थीं.