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Delhi Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को रेलवे पर कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने यात्रियों की क्षमता से अधिक टिकट बेचने की आवश्यकता पर सवाल उठाया. रेलवे एक्ट के प्रभावी अमल को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली HC ने रेलवे को नोटिस जारी किया है.
कोर्च में यात्रियों की संख्या से ज्यादा टिकट क्यों बेचते हैं?
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने उस याचिका की सुनवाई के दौरान यह बातें कहीं, जिसमें रेलवे स्टेशनों पर भविष्य में भगदड़ों को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों की मांग की गई थी. न्यायालय ने कहा, अगर आप एक कोच में समाहित होने वाले यात्रियों की संख्या तय करते हैं तो आप टिकट क्यों बेचते हैं? जस्टिस गेडेला ने कहा, क्या आप जानते हैं कि उस दिन स्टेशन पर कितने लाख लोग थे? बुनियादी ढांचे के दृष्टिकोण से उस तरह की भीड़ को नियंत्रित करना संभव नहीं हो सकता. उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की घटनाएं रेलवे के लिए एक दुर्घटना की तरह नहीं हैं, इसे लापरवाही के रूप में देखा जाए.
रेलवे अधिनियम की धारा 57
हाईकोर्ट ने रेलवे को अधिकतम यात्रियों की संख्या तय करने और प्लेटफॉर्म टिकटों की बिक्री की जांच करने का आदेश दिया. न्यायालय ने कहा, अगर आप इस सरल बात को सकारात्मक रूप से लागू करते हैं तो ऐसी स्थिति को टाला जा सकता है.
नियमों का पालन आवश्यक
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे के नियमों के पालन की मांग की है. न्यायमूर्ति उपाध्याय ने कहा, उनकी चिंता केवल दुर्भाग्यपूर्ण घटना तक सीमित नहीं है. कोर्ट ने कहा कि याचिका में रखी बात को रेलवे बोर्ड के आला अधिकारी देखें. इस पर उठाए गए कदमों को लेकर रेलवे हलफनामा दाखिल करें. मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में हुई भगदड़ की घटना के मद्देनजर रेलवे एक्ट के प्रभावी अमल को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली HC ने रेलवे को नोटिस जारी किया है. कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि अगर रेलवे ने नियमों का पालन किया होता तो इस तरह की घटना को रोका जा सकता था. एयरपोर्ट पर ऐसी व्यस्था होती है, जिससे वहां मौजूद लोगों की सही-सही संख्या का पता चल सके. रेलवे के पास अभी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. स्टेशन पर बड़ी संख्या में ऐसे लोग मौजूद रहते हैं, जिनके पास कोई प्लेटफार्म या ट्रेन का टिकट नहीं होता. इसे रोकने के लिए रेलवे अपने ही नियमों का पालन करने में नाकामयाब रहता है. कोर्ट ने कहा कि याचिका में रखी बात को रेलवे बोर्ड के आला अधिकारी देखें. इस पर उठाए गए कदमों को लेकर रेलवे हलफनामा दाखिल करें. अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी.