19 महीने से वेतन की मांग, 124 दिन से दे रहे धरना अब आर-पार की लड़ाई में 96 निगमकर्मी
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19 महीने से वेतन की मांग, 124 दिन से दे रहे धरना अब आर-पार की लड़ाई में 96 निगमकर्मी

19 महीनों के बकाया वेतन की मांग को लेकर हरदयाल लाइब्रेरी के कर्मचारी पिछले 124 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. आज लाइब्रेरी के 96 कर्मचारी रुके वेतन के मांग को लेकर उपराज्यपाल आवास पर पहुंचे. उनका कहना है कि वेतन न मिलने पर अब उनके पास आत्महत्या करना ही एकमात्र रास्ता है. 

19 महीने से वेतन की मांग, 124 दिन से दे रहे धरना अब आर-पार की लड़ाई में 96 निगमकर्मी

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित हरदयाल लाइब्रेरी के कर्मचारियों को पिछले 19 महीनों से वेतन नहीं मिला है. जिसके विरोध में कर्मचारी पिछले 124 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. आज वो वेतन की मांग लेकर उपराज्यपाल आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि अगर उनका बकाया वेतन नहीं मिलता, तो अब उनके पास आत्महत्या करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचेगा. 

160 साल पुरानी है लाइब्रेरी
हरदयाल लाइब्रेरी की स्थापना 1862 में हुई थी, यह राजधानी के सबसे पुराने पुस्तकालयों में एक है. यहां पर लगभग 2 लाख किताबें और पत्रिकाएं हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए हर दिन कई लोग यहां आते हैं. चांदनी चौक सहित दिल्ली में इसकी कुल 35 शाखाएं हैं, जिन्हें चलाने की जिम्मादारी  MCD के पास है. 

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वेतन की मांग को लेकर कर्मचारी पिछले 124 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. आज हरदयाल लाइब्रेरी के 96 कर्मचारी 19 महीनों से रुके वेतन के मांग लेकर उपराज्यपाल आवास पर पहुंचे. लाइबेरी कर्मचारियों का कहना कि वेतन नहीं मिला तो आत्महत्या के अलावा दूसरा चारा नही है. वेतन न मिलने की वजह से लोगो से उधार लेकर घर चला रहे हैं. कई कर्मचारी किराए के मकान पर रहते हैं, उनके पास मकान मालिक को किराया देने तक के पैसे नहीं हैं. जिसकी वजह से मकान खाली करने तक की नौबत आ गई है. 

लाइब्रेरी के कर्मचारियों ने बताया कि अधिकारियों तक पत्राचार किया गया लेकिन आश्वासन के अलावा वेतन नहीं मिला. कई बार फंड भी रिलीज किया गया, खाते में पैसे आने की बात कही गई लेकिन पैसे नहीं आए. सभी त्योहार बीत गए लेकिन कर्मचारियों को अभी भी वेतन का इंतजार है. अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए लाइब्रेरी के कर्मचारियों ने कहा कि, अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के मांगों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. भ्रष्टाचार के मामले को उजागर करने के लिए कमेटी का गठन किया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.