Haryana News: यमुनानगर के हथिनी कुंड बैराज पर 11 जुलाई को आया 359000 क्यूसेक पानी ने दिल्ली तक तबाही मचाई, वहीं इस पानी के चलते अब हथिनी कुंड का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है. हथिनी कुंड बैराज से निकले पानी ने बैराज से आगे जमकर तबाही मचा दी, बड़े-बड़े ब्लॉक को यह पानी अपने साथ तिनके की तरह बहाकर ले गया.
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Haryana News: हथिनी कुंड बैराज से 359000 क्यूसेक पानी गुजरने के बाद हथिनी कुंड बैराज को भी काफी हद तक क्षति पहुंची है, हथिनी कुंड बैराज में एक दीवार 10 फीट नीचे धंस गई है, जो आने वाले समय में हथिनी कुंड बैराज के लिए भी खतरा बन सकता है क्योंकि अभी मानसून का मौसम बीता भी नहीं है.
पानी ने मचाई तबाही
यमुनानगर के हथिनी कुंड बैराज पर 11 जुलाई को आया 359000 क्यूसेक पानी ने दिल्ली तक तबाही मचाई, वहीं इस पानी के चलते अब हथिनी कुंड का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है. हथिनी कुंड बैराज से निकले पानी ने बैराज से आगे जमकर तबाही मचा दी, बड़े-बड़े ब्लॉक को यह पानी अपने साथ तिनके की तरह बहाकर ले गया. यहां तक कि पानी को रोकने के लिए बनाई गई एक दीवार को भी यमुना नदी के पानी ने लगभग 15 फीट नीचे खिसका दी.
रिवर बैंड बहा
बता दें कि जहां पर पानी की टक्कर लगती थी, वहां पर सिंचाई विभाग ने कुछ समय पहले ही पानी के बहाव के लिए बड़े-बड़े ब्लॉक लगाकर एक रैंप तैयार किया था और पानी ने इस पूरे रैंप को भी तहस-नहस कर नीचे बड़े ब्लॉकों को भी बहा कर दूर ले गया. हथनी कुंड बैराज के कई गेट के आगे कुछ ऐसा ही नजारा दिखाई दे रहा है, लेकिन हरियाणा की तरफ से पहले गेट के आगे पानी की तबाही का नजारा कुछ इसी तरह दिखाई दे रहा है, जिसमें हथनी कुंड बैराज के रिवर बैंड बहने शुरू हो गए.
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तिनके से बहा सीमेंट ब्लॉक
हथिनी कुंड बैराज के गेट के नीचे से निकले पानी ने जो तबाही मचाई थी अब उसको सुधारने के लिए सिंचाई विभाग फिर से ब्लॉक बनाने के काम शुरू कर रहा है, लेकिन बड़ी बात देखने वाली यह है कि यहां पानी ने बड़े-बड़े सीमेंट के ब्लॉक को अपने साथ तिनके की तरह बहा कर ले गया. वहीं अब बिना किसी अधिकारी की देखरेख और बिना किसी मापदंड के ही पत्थर लगाने का काम शुरू हो गया है. ऐसे में अभी पूरा मानसून बाकी है और जिस प्रकार से यहां पर काम हो रहा है, उससे जाहिर सी बात है कि मामूली पानी आने से भी यह पत्थर यहां से आगे खिसकने में देर नहीं लगाएंगे. ऐसे में हथिनी कुंड बैराज को भी लापरवाही से खतरा पैदा हो सकता है, लेकिन यहां तो अधिकारी कहीं और है और इस पूरे काम की कमान नहर के किनारों की देखरेख करने वाले बेलदार को सौंप रखी है.
1 दशक में पहली बार हुआ ऐसा
सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर आर.एस मित्तल ने कहा कि 1 दशक में पहली बार लगातार 92 घंटे 1 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी हथिनीकुंड बैराज से डायवर्ट किया गया है. जाहिर सी बात है जब इतना पानी चलता है तो कुछ नुकसान जरूर होता है. फिलहाल अभी 2 से 4 दिन में ठीक करा देंगे. यमुना के भीतर से ही पत्थर लगाने को लेकर सुपरीटेंडेंट इंजीनियर ने गोलमोल जवाब दिया. उन्होंने कहा कि इन पथरों को एस्टीमेट में डाल दिया जाएगा, फिलहाल हाथीकुंड बैराज को किसी भी तरह का खतरा नहीं है.
Input- KULWANT SINGH