Haryana Govt: कृषि विभाग ने बताया, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) और कई जिलों के उपायुक्तों (डीसी) बैठक हुई थी, उस दौरान आयोग को जानकारी दी गई थी कि 14 अक्टूबर तक 232 किसानों के खिलाफ रेड एंट्री दर्ज की गई है.
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Haryana Agriculture Departmwnt: हरियाणा में पराली से होने वाले प्रदूषण को सरकार ने गंभीरता से लिया है. इसी क्रम में सरकार ने एक सख्त फैसला किया है. हरियाणा के कृषि विभाग ने आदेश जारी कर कहा है कि पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी. इतना ही नहीं उनके खेतों से जुड़े दस्तावेज में रेड एंट्री की जाएगी. जिन किसानों के कागजों ने रेड एंट्री मिलेगी, उन्हें अगले दो सीजन तक ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से मंडियों में अपनी फसल बेचने से रोक दिया जाएगा.
इसके अलावा रेड एंट्री वाले किसान न ही अपनी जमीन बेच पाएंगे और न गिरवी रख पाएंगे. ये सख्ती यही खत्म नहीं होती, ऐसे किसान एग्रीकल्चर लोन भी नहीं ले पाएंगे. दरअसल पराली प्रबंधन को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) और कई जिलों के उपायुक्तों (डीसी) बैठक हुई थी. उस दौरान आयोग को जानकारी दी गई थी कि 14 अक्टूबर तक 232 किसानों के खिलाफ रेड एंट्री दर्ज की गई है.
15 सितंबर से 13 अक्टूबर के बीच आग लगने की 468 घटनाएं
हरियाणा के कृषि विभाग ने बताया था कि इसरो प्रोटोकॉल के अनुसार, 15 सितंबर से 13 अक्टूबर के बीच आग लगने की 468 घटनाओं की पहचान की गई. सत्यापन के दौरान पता चला कि 173 मामलों में जमीन पर कोई आग नहीं लगी थी. चार मामलों में आग गैर-कृषि संपत्ति पर लगी थी या कचरा जलाने के कारण लगी थी. वहीं 43 मामलों में सत्यापन अभी होना है.
अब तक क्या कदम उठाए
पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए हरियाणा सरकार ने 3,224 नोडल अधिकारी तैनात किए हैं. 2018-19 से राज्य ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) उपकरण खरीद पर सब्सिडी दी गई. इसके अलावा, सीआरएम उपकरणों के उपयोग के लिए प्रति एकड़ 1,000 रुपये, जबकि धान की फसल के अवशेषों को गोशालाओं तक ले जाने के लिए 500 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है.
सरकार का साथ देते हैं किसान
हालांकि शुक्रवार को चंडीगढ़ में सीएम नायब सैनी ने हरियाणा के किसानों पर भरोसा जताया. पराली के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि हमारे किसान समझदार और जागरूक है, वे पराली नहीं जलाएंगे. हरियाणा के किसान हमेशा सरकार की बात मानते हैं और सरकार का साथ भी देते हैं. सरकार की ओर से भी उन्हें सब्सिडी पर पराली प्रबंधन करने के लिए अलग-अलग उपकरण मुहैया करवाए जाते हैं.
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