Delhi Election 2025: इस बार बीजेपी ने बूथ-स्तर पर मजबूत पकड़ बनाने के लिए नई रणनीति अपनाई. पार्टी ने 13,033 बूथों पर छह-छह लोगों की टीमें बनाई, जिनमें महिलाओं, युवाओं और एससी वर्ग के लोगों को भी शामिल किया गया. इन टीमों ने घर-घर जाकर लोगों से मुलाकात की और उनकी परेशानियों को समझा.
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Delhi Assembly Election: दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी ने सत्ता में वापसी कर एक नया राजनीतिक अध्याय लिख दिया है. चुनावी नतीजों ने यह साबित कर दिया कि केवल मुफ्त योजनाओं और लुभावने वादों से जनता को लंबे समय तक नहीं बहकाया जा सकता. इस जीत के पीछे संगठन की मजबूत रणनीति, बूथ-स्तर तक की पकड़ और सरकार के कामकाज पर केंद्रित प्रचार प्रमुख रहे. बीजेपी के 43 समितियों वाले मजबूत संगठनात्मक ढांचे ने इस बार चुनाव को एक अलग दिशा में मोड़ा और मतदाताओं को सरकार की विफलताओं से अवगत कराया.
43 समितियों का दमदार अभियान
दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के इस सफर में बीजेपी की 43 समितियों ने अहम भूमिका निभाई. ये समितियां न सिर्फ प्रचार की योजना बनाने में लगी थीं, बल्कि बूथ स्तर तक पार्टी के संदेश को पहुंचाने में भी सफल रहीं. हर समिति की अलग जिम्मेदारी तय थी, सोशल मीडिया मैनेजमेंट से लेकर, कॉल सेंटर संचालन, पूर्वांचली समुदाय से जुड़ाव, बूथ प्रबंधन, घोषणापत्र निर्माण और जनसभाओं के आयोजन तक. 28 नवंबर से 3 फरवरी तक इन समितियों ने पूरे शहर में सघन अभियान चलाया और जनता के बीच विश्वसनीयता बनाने का काम किया.
'झूठ बनाम सच' की लड़ाई में जनता का फैसला
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने इस चुनाव को आम आदमी पार्टी (आप) के दुष्प्रचार और छल-कपट के खिलाफ जनता का जनमत संग्रह बताया. चुनावी समीक्षा बैठक में दिल्ली बीजेपी के प्रभारी बैजयंत पांडा, सह-प्रभारी अलका गुर्जर, अतुल गर्ग और दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा सहित अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. सचदेवा ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह जीत जनता के उस फैसले को दर्शाती है, जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल की 'झूठ की राजनीति' को नकार दिया और बीजेपी के 'विकास एवं पारदर्शिता' के मॉडल को स्वीकार किया.
बूथ-स्तर पर सशक्त रणनीति
बीजेपी ने इस बार विकेंद्रीकृत बूथ प्रबंधन की रणनीति अपनाई. पार्टी ने 13,033 बूथों पर छह-सदस्यीय टीमें बनाई, जिनमें महिलाओं, युवाओं और एससी वर्ग के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया. डोर-टू-डोर अभियान ने पानी की किल्लत, टूटी सड़कों, कूड़े के ढेर और शासन की विफलताओं को जनता के बीच प्रमुख मुद्दों के रूप में उठाया. झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में इस रणनीति को बड़ी सफलता मिली.
भ्रष्टाचार के मुद्दे ने 'आप' की छवि बिगाड़ी
बीजेपी नेताओं का मानना है कि आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी हार उसकी खुद की नीतियों और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण हुई. केजरीवाल सरकार का शीशमहल कांड और शराब घोटाला 'आप' की 'आम आदमी' वाली छवि को पूरी तरह से ध्वस्त कर गया. बीजेपी ने इन मुद्दों को आक्रामक तरीके से उठाया और जनता के बीच यह संदेश पहुंचाने में सफल रही कि आप सरकार सिर्फ प्रचार और वादों तक सीमित रही, जबकि जमीनी स्तर पर स्थिति बेहद खराब थी. इस चुनाव ने दिखा दिया कि जनता अब सिर्फ वादों पर नहीं, बल्कि काम के आधार पर फैसले कर रही है. बीजेपी की ऐतिहासिक जीत ने दिल्ली में एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत कर दी है.
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