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नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में राजनीति के सबसे बड़े नामों में से एक मनीष सिसोदिया जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमाएंगे. आम आदमी पार्टी (AAP) के इस प्रमुख नेता के लिए यह चुनाव एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है, क्योंकि इस सीट पर पहले ही कई मुद्दों और राजनीतिक समीकरणों के चलते जंग छिड़ी हुई है.
जंगपुरा का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
जंगपुरा दिल्ली के दिल में स्थित एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है, जहां पहले से ही कई राजनीतिक दलों का दबदबा रहा है. यहां पर मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस की कड़ी टक्कर देखी जाती रही है. हालांकि, पिछले चुनावों में AAP ने जंगपुरा सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार इस सीट की राजनीति में कई बदलाव और नए समीकरण उभरकर सामने आ रहे हैं.
क्या मनीष सिसोदिया जंगपुरा से जीत पाएंगे चुनावी जंग
मनीष सिसोदिया दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं. उनकी सरकार ने दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिसमें सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार और शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि शामिल है. इस कारण सिसोदिया को दिल्ली के बड़े हिस्से में एक लोकप्रिय नेता माना जाता है, लेकिन जंगपुरा में उनकी राह इतनी आसान नहीं है. सिसोदिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है यहां के मतदाताओं का बदलता रूझान. जंगपुरा में बड़ी संख्या में व्यापारी, शिक्षित युवा और मिडिल क्लास परिवार रहते हैं, जिनकी प्राथमिकताएं पिछले कुछ सालों में बदल चुकी हैं. कई लोगों को अब यह महसूस हो रहा है कि दिल्ली सरकार के कामकाज से उनके इलाके में कोई विशेष बदलाव नहीं आया है.
जंगपुरा में BJP के लिए क्या है चुनौती
भारतीय जनता पार्टी ने इस बार जंगपुरा सीट पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कई रणनीतियां अपनाई हैं. BJP के लिए यह सीट एक अहम रणनीतिक स्थान है, क्योंकि उन्हें दिल्ली में अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करना है. BJP ने इस बार जंगपुरा में अपने पारंपरिक वोटबैंक को मजबूत करने के लिए तरविंदर सिंह मारवाह को मैदान में उतारा है. पार्टी की कोशिश है कि वह शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा के मुद्दों को प्रमुख बनाकर सिसोदिया के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष तैयार कर सके.
जंगपुरा में कांग्रेस की क्या है स्थिति
कांग्रेस ने इस बार भी जंगपुरा में फरहाद सूरी को चुनावी मैदान में उतारा है, हालांकि पार्टी का वोट बैंक इस क्षेत्र में पहले की तुलना में बहुत कमजोर हुआ है. कांग्रेस के पास एक मजबूत पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं की टीम होने के बावजूद 2020 के विधानसभा चुनावों में उनकी कोई बड़ी सफलता नहीं मिली. इस बार भी कांग्रेस को AAP और BJP के मुकाबले बड़ा चैलेंज सामना करना पड़ेगा.
क्या होगा जंगपुरा का भविष्य?
दिल्ली की राजनीति में जंगपुरा की सीट ने हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इस बार मनीष सिसोदिया के लिए यह एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकती है. जहां एक ओर AAP अपनी नीतियों और विकास कार्यों के बल पर जीत की उम्मीद लगाए बैठी है, वहीं BJP ने भी हर चुनावी रणनीति को अपनाकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है. आखिरकार, जंगपुरा के मतदाता ही यह तय करेंगे कि किसे जीत का तोहफा मिलेगा. क्या मनीष सिसोदिया का शिक्षा और विकास पर जोर काम आएगा या BJP और कांग्रेस के नए समीकरण उनके लिए मुसीबत का कारण बनेंगे? यह तो 5 फरवरी को होने वाले चुनावों के परिणाम ही बताएंगे.
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