Delhi Election 2025: 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. अब फैसला जनता के हाथ में है कि राजधानी में कौन सी पार्टी की सरकार बनेगी. सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीतियों के दम पर जीत का दावा कर रही हैं और मैदान में पूरी ताकत से जुटी हुई हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के तहत 5 फरवरी का दिन राजनीति के लिए बेहद खास होगा. इस दिन राजधानी की जनता अपने वोट से यह तय करेगी कि विकास और वादों की कसौटी पर कौन खरा उतरेगा. आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. हर पार्टी ने जनता को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादे किए हैं, लेकिन अब फैसला दिल्ली के मतदाताओं के हाथ में है. सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक चुनावी चर्चाएं तेज हैं. यह दिन साबित करेगा कि जनता को वादों से ज्यादा विकास पर भरोसा है या नहीं.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी एक बार फिर दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ होने के लिए मैदान में है. आप ने अपनी पूरी चुनावी रणनीति को 'दिल्ली मॉडल' के इर्द-गिर्द तैयार किया है, जिसमें मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को केंद्र में रखा गया है. केजरीवाल के मुताबिक उनकी सरकार ने पिछले कार्यकाल में जो काम किए हैं, वही उनकी जीत की नींव हैं. पार्टी घर-घर जाकर 'काम की राजनीति' पर वोट मांग रही है और लोगों को यह भरोसा दिला रही है कि दिल्ली का विकास मॉडल देशभर के लिए मिसाल है.
बीजेपी इस बार दिल्ली में बड़ा उलटफेर करने की तैयारी में है. पार्टी ने अपने चुनावी अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे और केंद्रीय योजनाओं के इर्द-गिर्द गढ़ा है. भाजपा ने इस बार हर वर्ग के लिए बड़े वादे किए हैं. महिलाओं के लिए 2500 रुपये की मासिक सहायता, गर्भवती महिलाओं को 21,000 रुपये की वित्तीय मदद और बुजुर्गों के लिए 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा जैसे वादे बीजेपी के घोषणापत्र में खास तौर पर शामिल हैं. बीजेपी का दावा है कि दिल्ली अब बदलाव के लिए तैयार है और इस बार पार्टी सत्ता में आकर केजरीवाल सरकार को 'विफल' साबित करेगी.
कांग्रेस जो दिल्ली में लगभग एक दशक से सत्ता से बाहर है, इस बार अपने पुराने जनाधार को फिर से हासिल करने की कोशिश में जुटी है. पार्टी ने महंगाई, बेरोजगारी और विकास के मुद्दों को उठाते हुए आम आदमी पार्टी और बीजेपी पर हमला तेज कर दिया है. कांग्रेस का प्रचार इस बार युवा और महिला मतदाताओं को केंद्रित कर रहा है. पार्टी नेतृत्व का मानना है कि दिल्ली के मतदाता अब 'विकल्प की राजनीति' की ओर लौटेंगे.
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनती दिख रही है. आम आदमी पार्टी जहां विकास के नाम पर चुनाव लड़ रही है, वहीं बीजेपी और कांग्रेस दिल्ली में 'नई शुरुआत' का वादा कर रही हैं. चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में तीनों ही पार्टियां मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. आने वाले चुनावी नतीजे न केवल दिल्ली की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी गहरा असर डाल सकते हैं. 5 फरवरी को होने वाले चुनाव में यह तय होगा कि दिल्ली के सियासी आसमान पर किसका परचम लहराएगा.