दिल्ली की कमान फिर हरियाणा मूल के हाथ! BJP का यह पैटर्न संयोग या रणनीति?
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दिल्ली की कमान फिर हरियाणा मूल के हाथ! BJP का यह पैटर्न संयोग या रणनीति?

BJP MLA Rekha Gupta: इस बार भी बीजेपी ने हरियाणा मूल से आने वाली नेता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह रणनीति लंबे समय तक चलेगी. दिल्ली के स्थानीय नेता और बाकी समुदाय इस फैसले को कितना पसंद करेंगे, यह देखने वाली बात होगी.

 

दिल्ली की कमान फिर हरियाणा मूल के हाथ! BJP का यह पैटर्न संयोग या रणनीति?

Delhi Chief Minister: दिल्ली की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक बार फिर इतिहास दोहरा दिया है. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय सुषमा स्वराज को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया गया था, जो हरियाणा से थीं. अब, 2025 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने फिर से हरियाणा की रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बना दिया. सवाल उठता है कि आखिर हरियाणा से जुड़े नेता ही क्यों? क्या यह सिर्फ एक संयोग है या इसके पीछे कोई गहरी रणनीति छिपी है.

दिल्ली-हरियाणा का राजनीतिक कनेक्शन
दिल्ली और हरियाणा का राजनीतिक और सामाजिक रूप से गहरा संबंध है. दिल्ली में हरियाणा के मूल निवासियों की एक बड़ी संख्या रहती है खासकर जाट, गुर्जर और पंजाबी समुदायों के रूप में. इसके अलावा हरियाणा और दिल्ली का सीमावर्ती होना भी इसे एक अहम राजनीतिक समीकरण बना देता है. बीजेपी ने हमेशा से इन समुदायों को साधने की कोशिश की है और हरियाणा के नेताओं को दिल्ली में प्रमुख पद देकर एक तरह से वोट बैंक की राजनीति को मजबूत किया है.

सुषमा स्वराज से रेखा गुप्ता तक, दोहराया गया इतिहास
1. सुषमा स्वराज का मुख्यमंत्री बनना (1998)

1998 में जब बीजेपी ने दिल्ली में अपनी पहली सरकार बनाई थी, तो पार्टी ने वरिष्ठ नेता मदन लाल खुराना को हटाकर सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया था. सुषमा स्वराज हरियाणा की बेटी थीं और उनके नाम का चुनाव कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था, लेकिन बीजेपी ने उस समय यह रणनीति अपनाई थी कि दिल्ली में जाट, पंजाबी और बनिया वोटों को साधने के लिए एक सर्वमान्य चेहरा आगे लाया जाए.

2. रेखा गुप्ता का मुख्यमंत्री बनना (2025)
2025 में दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी की वापसी हुई और पार्टी ने फिर से हरियाणा की रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया. दिल्ली में बीजेपी के कई मजबूत नेता थे, लेकिन पार्टी ने रेखा गुप्ता पर दांव लगाया.

तो हरियाणा से सीएम बनाने की रणनीति क्या है?
1. दिल्ली के वोट बैंक पर असर

दिल्ली में हरियाणवी मूल के लोग, खासकर पश्चिमी दिल्ली और बाहरी इलाकों में बड़ी संख्या में हैं. बीजेपी जानती है कि यह वर्ग चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाता है. इसी वजह से हरियाणा के नेताओं को आगे कर इन वोटों को पक्का करने की रणनीति अपनाई जाती है.

2. पंजाबी और बनिया वोट बैंक को साधना
हरियाणा की राजनीति में पंजाबी समुदाय की अच्छी पकड़ होती है. सुषमा स्वराज और रेखा गुप्ता दोनों ही इस वर्ग से जुड़ी रही हैं. बीजेपी को पता है कि दिल्ली के व्यापारी वर्ग और पंजाबी समुदाय को अपने पक्ष में रखना जरूरी है और हरियाणा के नेता इसमें अहम भूमिका निभाते हैं.

3. संगठन पर नियंत्रण
बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व हमेशा से ऐसे चेहरे को मुख्यमंत्री बनाना पसंद करता है, जो संगठन के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो. सुषमा स्वराज हों या अब रेखा गुप्ता दोनों ही संगठन से गहराई से जुड़ी रही हैं. इनका चयन यह दिखाता है कि बीजेपी दिल्ली में ऐसा नेतृत्व चाहती है, जो पूरी तरह से हाईकमान के नियंत्रण में रहे और कोई अलग सत्ता केंद्र न बनाए.

भविष्य की राजनीति पर असर
दिल्ली में हरियाणा मूल के मुख्यमंत्री बनाना बीजेपी की एक लंबी रणनीति का हिस्सा लगता है. यह न सिर्फ राज्य की राजनीति को प्रभावित करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि पार्टी दिल्ली को एक पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं देने के अपने रुख पर कायम है. बीजेपी ने इस बार भी हरियाणा की नेता को चुना, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह रणनीति लंबे समय तक कारगर रहेगी? क्या दिल्ली के स्थानीय नेताओं और अन्य समुदायों को यह फैसला रास आएगा? आने वाले समय में इस पर राजनीति जरूर होगी. फिलहाल, बीजेपी ने फिर से इतिहास दोहराया है. अब देखना होगा कि रेखा गुप्ता इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बीजेपी के लिए दिल्ली में कितनी सफल साबित होती हैं.

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