Mahashivratri 2023: शनि प्रदोष के महासंयोग में मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, इन 4 प्रहर में महादेव को ऐसे करें प्रसन्न
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Mahashivratri 2023: शनि प्रदोष के महासंयोग में मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, इन 4 प्रहर में महादेव को ऐसे करें प्रसन्न

Mahashivratri 2023: इस बार शनि प्रदोश के महासंयोग में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. साथ ही शनिवार और प्रदोष का संयोग होने से इसी दिन त्रयोदशी यानि प्रदोष का व्रत भी रखा जाएगा. त्रयोदशी समाप्त होने के बाद चतुर्दशी प्रारंभ हो जाएगी.

Mahashivratri 2023: शनि प्रदोष के महासंयोग में मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, इन 4 प्रहर में महादेव को ऐसे करें प्रसन्न

Mahashivratri 2023: शनिवार यानी की आज महाशिवरात्रि के खास पर्व पर भगवान शिव के भक्त मंदिरों में सुबह से ही दर्शन के लिए पहुंचने लगते हैं. महाशिवरात्रि की तैयारियां एक दिन पहले से ही होने लगती हैं. ज्योतिषों के अनुसार, इस बार शनि प्रदोश के महासंयोग में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. साथ ही शनिवार और प्रदोष का संयोग होने से इसी दिन त्रयोदशी यानि प्रदोष का व्रत भी रखा जाएगा. त्रयोदशी समाप्त होने के बाद चतुर्दशी प्रारंभ हो जाएगी.

हिंदू धर्म के अनुसार, शव से शिव और जड़ से चैतन्य होने का पर्व महाशिवरात्रि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी को मनाया जाता है. कहते हैं कि इस दिन भोलेनाथ का विवाह माता पार्वती के साथ सपन्न हुआ था. आज के दिन शिव मंत्र जप-हवन-अभिषेक हवन का बड़ा महत्व है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी की रात 8 बजकर 5 मिनिट पर प्रारंभ हो रही है, दूसरे दिन 19 फरवरी की शाम 4 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा.

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महाशिवरात्रि की पूजा 4 प्रहर में करने का विधान

इसमें रात आठवें मुहूर्त का अधिक महत्व है. क्योंकि चतुर्दशी तिथि 19 फरवरी की शाम को समाप्त हो रही है, इसलिए महाशिवरात्रि 18 तारीख की रात्रि को ही मनाई जाएगी.

ऐसे करें भोलेनाथ की पूजा

कहते हैं कि शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा ‘निशीथ काल’ में करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस दौरान शिव की मूर्ति, चि‍त्र या शिवलिंग को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें. शिवलिंग को स्नान कराएं. मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर, ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर अर्पित करें. पूजन में शिवलिंग के सामने धूप, दीप अवश्य जलाएं. दीपक को कभी नहीं बुझाने दे. शिवलिंग या मूर्ति के मस्तक पर चंदन लगाएं.

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इसके बाद फूलों का हार चढ़ाएं और आरती करें. पूजन में अनामिका अंगुली से गंध, चंदन, अबीर आदि जो शिवजी को चढ़ता है लगाना चाहिए. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं. ध्यान रहे कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं होना चाहिए. सबसे आखिर में आरती करें, महाशिवरात्रि पर मंत्र और पाठ: शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप इस दिन करना चाहिए.

महादेव को करें ये अर्पित होंगे प्रसन्न

आज के दिन रात में पूजा करने का विधान है. रात के इन 4 प्रहरों में पूजा की जाये तो भोलेनाथ जरूर प्रसन्न होते हैं.

पहला प्रहर शाम 6:41 मिनट से लेकर रात 9:47 मिनट तक रहेगा. पूजा में शिव को दूध अर्पित करना चाहिए. इसी के साथ जल से उनका अभिषेक करना चाहिए.

द्वितीय प्रहर रात 9:47 मिनट से लेकर रात 12:53 मिनट तक रहेगा. इस दौरान शिव दही अर्पित करना चाहिए और जल से अभिषेक करना चाहिए. इसके बाद शिव मंत्र का जाप करें.

तीसरे प्रहर में रात 12:53 मिनट से लेकर 3:58 मिनट तक रहेगा. इस दौरान शिव को घी अर्पित करना चाहिए और जल से अभिषेक करना चाहिए.

चौथे प्रहर यानी 19 फरवरी को सुबह 3:58 मिनट से लेकर सुबह 7:06 मिनट तक रहेगा. इस दौरान शिव को शहद अर्पित करना चाहिए और फिर जल से अभिषेक करना चाहिए.

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