सिरसा में पिछले कई दिनों से हो रही झमाझम बारिश से किसानों की फसलों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. अगर लगातार बारिश का दौर जारी रहा तो आने वाले दिनों में खाद्य पदार्थों के साथ सब्जियों के दामों में भी बढ़ोतरी हो सकती है.
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जय कुमार/सिरसाः मॉनसून के सीजन में इस बार इंद्र देवता खूब मेहरमान हुए है. सिरसा जिला में इस बार खूब बारिश का नजारा देखने को मिल रहा है जहां बारिश से लोगों को तपती गर्मी से छुटकारा मिला है वहीं यह बारिश आम लोगों के साथ-साथ किसानों के लिए भी आफत बनकर सामने आई है. दरअसल, किसानों के खेतों में पिछले कई दिनों से बरसाती पानी जमा हो गया है.
किसानों के खेतों में बरसाती पानी की निकासी का कही पर भी कोई प्रबंध नहीं है. इस वजह से किसानों के खेतों में खड़ी नरमे की फसल खराब होने की स्थिति में पहुंच गई है. किसानों के मुताबिक कपास, ग्वार, बाजरा को भी थोड़ा बहुत नुकसान हुआ है. किसानों का कहना है कि ज्यादा बरसात की वजह नरमे की फसल को ज्यादा नुकसान हुआ है. किसानों ने अब सरकार से खराब हुई फसलों के मुआवजे की मांग की है.
तो वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार सिरसा जिला में जुलाई महीने में 64 मिलीमीटर बारिश हुई है. कृषि विभाग इस बारिश से केवल नरमे की फसल को नुकसान होने की संभावना जता रहा है इसके अलावा धान, ग्वार, बाजरा की फसल को इस बारिश से फायदा मिलने की उम्मीद है. सिरसा जिला में पिछले कई दिनों से झमाझम बारिश हो रही है.
मॉनसून के इस सीजन से जहां बारिश होने से किसान खुश दिखाई दे रहे थे लेकिन लगातार पिछले कई दिनों से झमाझम बारिश ने किसानों की भी नींद उड़ा दी है क्योंकि किसानों के खेतों में पानी जमा हो गया है. हालांकि बारिश किसानों की फसल के लिए वरदान के रूप में साबित भी हो रही है, लेकिन खेतों में जमा बरसाती पानी की वजह से किसानों के नरमे की फसल को नुकसान हो रहा है.
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किसानों ने अब हरियाणा सरकार से स्पेशल गिरदावरी करवा मुआवजे की मांग की है. कृषि विभाग के उप कृषि निदेशक बाबूलाल का कहना है कि मानसून के सीजन को देखते हुए इस जुलाई महीने में 64 मिलीमीटर बारिश हुई है. इस बारिश से धान, ग्वार, बाजरा की फसल को फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा कि किसानों के खेतों में बरसाती पानी जमा है. इसलिए नरमे की फसल को नुकसान होने की सूचना मिली है. उन्होंने किसानों को मशवरा देते हुए कहा कि किसान जल्द से जल्द अपने खेतों में बरसाती पानी की निकासी का प्रबंध करें ताकि उनकी नरमे की फसल का नुकसान कम हो सके.