दिल्ली-NCR में एक बार फिर से प्रदूषण का स्तर खतरनाक तरीके से बढ़ गया है, जिससे शहरवासियों के लिए एक नई मुश्किल पैदा हो गई है. हवा की गुणवत्ता इस हद तक खराब हो गई है कि इसे 'गंभीर' श्रेणी में रखा गया है. इस स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत GRAP-3 को लागू कर दिया है, जो शहर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई कठोर उपायों को लागू करता है.
GRAP-3 लागू होने के बाद कई गतिविधियों पर रोक लगाई गई है, खासकर कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन कार्यों पर. इसके अलावा कुछ औद्योगिक गतिविधियाँ भी रुकने के कगार पर हैं, जिनसे प्रदूषण में और वृद्धि हो सकती है. दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में भारी निर्माण कार्यों के चलते पहले से ही हवा में धूल और प्रदूषक तत्वों की मात्रा अधिक हो चुकी थी और अब इन कार्यों पर प्रतिबंध लगाने से थोड़ी राहत मिल सकती है.
इस बीच दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ने 'गंभीर' स्तर को पार कर लिया है. इसका मतलब है कि यहां के लोग सांस लेने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं, खासकर बच्चे, बुजुर्ग और सांस से जुड़ी समस्याओं वाले लोग अधिक प्रभावित हो रहे हैं. अस्पतालों में प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के मामलों में अचानक बढ़ोतरी देखी गई है. लोग मास्क पहनने और घरों में रहने की सलाह ले रहे हैं और कई स्कूलों ने भी बाहर के खेल गतिविधियों को रोकने का फैसला लिया है.
GRAP-3 के तहत, सड़क पर धूल को कम करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, जैसे कि पानी का छिड़काव और सड़कों की नियमित सफाई. इसके अलावा, निर्माण कार्यों को सीमित कर दिया गया है ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके. कई निर्माण कंपनियां अब इस दिशा में कदम उठा रही हैं और सरकार से सहायता प्राप्त कर रही हैं ताकि वे वैकल्पिक उपायों को अपना सकें.
दिल्ली सरकार का कहना है कि यह उपाय अस्थायी हैं, लेकिन अगर प्रदूषण का स्तर ऐसे ही बढ़ता रहा तो और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक इस स्थिति से बचने के लिए लोगों को सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने, निजी वाहनों की संख्या कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है.