भारत में कई खूबसूरत एक्सप्रेसवे हैं, लेकिन द्वारका एक्सप्रेसवे अपनी अनूठी विशेषताओं के कारण सबसे छोटे और पहले अर्बन एक्सप्रेसवे के रूप में प्रसिद्ध है. इसके निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है, जो इसे एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है.
इसका 23 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड है और 4 किलोमीटर सुरंग में है, जिससे यातायात की सुविधा बढ़ती है. यह सिंगल पिलर पर 8-8 लेन वाला है, जो इसे और भी खास बनाता है.
एक्सप्रेसवे पर एक स्थान ऐसा है, जहां यह चार मंजिला हो जाता है, जिसे मल्टीयूटिलिटी कॉरिडोर कहा जाता है.
यहां पर नीचे अंडरपास, ऊपर सर्विस लेन और उसके ऊपर फ्लाईओवर है.यह स्थान गुरुग्राम के सेक्टर 82 के पास स्थित है.
द्वारका एक्सप्रेसवे पर सबसे चौड़ा टोल बूथ बनाया गया है, जिसमें कुल 34 टोल बूथ हैं. कार, जीप और वैन के लिए एक तरफ का टोल 105 रुपये और दोनों तरफ का 155 रुपये है.बस और ट्रक के लिए एक तरफ का टोल 355 रुपये है.
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में 2 लाख मीट्रिक टन स्टील का उपयोग किया गया है, जो एफिल टावर की तुलना में 30 गुना अधिक है. इसके अलावा, 20 लाख क्यूबिक मीटर कंक्रीट का उपयोग किया जाएगा, जो बुर्ज खलीफा की तुलना में छह गुना अधिक है.