Supreme Court Verdict : अगर बिना मर्जी के बने संबंधों के चलते कोई विवाहित महिला गर्भवती होती है, तो इसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत रेप माना जाना जाएगा और इस लिहाज से उसे भी गर्भपात कराने का अधिकार होगा.
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अविवाहित महिलाओं को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला (Historical Verdict) सुनाया है. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि सभी महिलाओं को सुरक्षित, कानून सम्मत तरीके से गर्भपात का अधिकार (Right to Abortion) है. सिर्फ विवाहित ही नहीं, अविवाहित महिलाएं (Unmarried Women) 24 हफ्ते तक गर्भपात करा सकती हैं यानी लिव-इन रिलेशनशिप और सहमति से बने संबंधों से गर्भवती हुईं महिलाएं भी गर्भपात करा सकेंगी.
आज अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 3-B की व्याख्या की है. कोर्ट ने साफ किया कि संसोधन के बाद ये कानून केवल विवाहित महिलाओं तक सीमित नहीं है. इससे पहले सामान्य मामलों में 20 हफ्ते से अधिक और 24 हफ्ते से कम के एबॉर्शन का अधिकार अब तक विवाहित महिलाओं को ही था.
25 साल की महिला ने कोर्ट में याचिका दायर कर 23 सप्ताह के गर्भ को गिराने की इजाजत मांगी थी. महिला का कहना था कि वो आपसी सहमति से गर्भवती हुई है, लेकिन अब वह बच्चे को जन्म नहीं देनी चाहती, क्योंकि उसके पार्टनर ने शादी से इनकार कर दिया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 जुलाई को याचिका ये कहते हुए खारिज कर दी थी कि याचिकाकर्ता अविवाहित है और वह सहमति से गर्भवती हुई है. ये मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स, 2003 के तहत नहीं आता. इसके बाद लड़की ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को दिए अंतरिम आदेश में महिला को राहत देते हुए गर्भपात की इजाजत दे दी, लेकिन इस कानून की व्याख्या से जुड़े पहलुओं पर सुनवाई जारी रखी. आज इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है.
मैरिटल रेप पीड़ित भी करा सकेंगी गर्भपात
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में रेप के तहत मैरिटल रेप भी शामिल होगा. इसके मुताबिक अगर बिना मर्जी के बने संबंधों के चलते कोई विवाहित महिला गर्भवती होती है, तो इसे एक्ट के तहत रेप माना जाना जाएगा और इस लिहाज से उसे भी गर्भपात कराने का अधिकार होगा.
बता दें कि मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने का मसला अभी SC में लंबित है. फैसले के मुताबिक सिर्फ मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत ही रेप में मैरिटल रेप शामिल होगा. यानि इसका हवाला देकर अभी शादीशुदा महिला गर्भपात करा सकती हैं पर अभी पति के खिलाफ मुकदमा नहीं चलेगा