Yamuna: यमुना का मुद्दा है जो पिछले तीन दशकों से राजनीतिक दलों के लिए सत्ता पाने की सीढ़ी बनता आया है. लेकिन असली सवाल यह है कि क्या इन दलों ने कभी यमुना की स्थिति पर ध्यान दिया है? आज यमुना की सेहत ठीक नहीं है और यह जगजाहिर है.
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Yamuna River: दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यमुना सफाई का वादा किया था, जिसको लेकर भाजपा ने शपथ ग्रहण से पहले नई सरकार को यमुना की सफाई और रिवर फ्रंट बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाया है. अब दिल्ली में यमुना पर भी यमुना रिवर फ्रंट बना जाएगा, जिससे प्रदूषण से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी.
यमुना का मुद्दा है जो पिछले तीन दशकों से राजनीतिक दलों के लिए सत्ता पाने की सीढ़ी बनता आया है. लेकिन असली सवाल यह है कि क्या इन दलों ने कभी यमुना की स्थिति पर ध्यान दिया है? आज यमुना की सेहत ठीक नहीं है और यह जगजाहिर है.
जानें यमुना के बारे में
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की जलापूर्ति का 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सा यमुना नदी से आता है. यह नदी 1376 किमी का सफर तय करती है, जिसमें यमुनोत्री से लेकर संगम तक का रास्ता शामिल है. दिल्ली में यमुना का सफर पल्ला गांव से शुरू होता है और जैतपुर तक 52 किलोमीटर की दूरी तय करता है. यहां तक कि यमुना का सफर दिल्ली में सिर्फ 0.4 फीसदी है. दिल्ली में यमुना नदी की सफाई के लिए 32 साल पहले यमुना एक्शन प्लान लाया गया था, जो तीन फेज में चलाया गया. लेकिन इस योजना का परिणाम सिफर ही रहा. पल्ला से वजीराबाद तक 26 किमी के दायरे में कोई नाला नहीं आता है, जिससे यहां यमुना की स्थिति थोड़ी बेहतर है. लेकिन जैसे ही यह नदी वजीराबाद से आगे बढ़ती है, इसकी गंदगी डराने लगती है.
दिल्ली का 90% घरेलू वेस्ट वॉटर यमुना में गिरता है
नजफगढ़ से लेकर ओखला तक 26 नाले यमुना में गिरते हैं. नजफगढ़ ड्रेन में दिल्ली के 10 सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीटमेंट किया गया पानी मिलता है. यह पानी हमारे घरों से निकलने वाले गंदे पानी का हिस्सा है, जो सीवर के जरिए पंपिंग हाउस तक जाता है. एक्सपर्ट के अनुसार, दिल्ली में हर रोज 800 MGD (मिलियन गैलन पर डे) सीवर जेनरेट होता है, जो साधारण भाषा में 350 करोड़ लीटर सीवेज के बराबर है. अगर यह सारा पानी ट्रीट होता और फिर यमुना में डाला जाता, तो यह नदी की स्थिति को काफी हद तक सुधार सकता था. हालात यह हैं कि यमुना आज देश की सबसे प्रदूषित नदियों में शामिल है. यहां तक कि झाग की मोटी परत फैल जाती है और नदी में ऑक्सीजन नाम मात्र की भी नहीं रह गई है. दिल्ली का 90% घरेलू वेस्ट वॉटर यमुना में गिरता है।
साफ-सफाई के नाम बहा दिए गए हजारों करोड़
पिछले 31 सालों में यमुना को लेकर सिर्फ राजनीति हुई है. साफ-सफाई के नाम पर हजारों करोड़ रुपए बहा दिए गए हैं, लेकिन नतीजा वही पुराना है. न तो नदी साफ हुई है और न ही पानी की स्थिति में कोई सुधार आया है. स्थानीय लोग बताते हैं कि साल 1984 से पहले तक यमुना नदी साफ और स्वच्छ हुआ करती थी. लेकिन उसके बाद गंदगी फैलनी शुरू हो गई और आज की स्थिति यह है कि लोग आचमन भी नहीं करना चाहते हैं. यह एक गंभीर स्थिति है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.