छत्तीसगढ़ के सूरजुर जिले में स्थित कुदरगढ़ हिंदू धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है. नवरात्रि के समय में यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस मंदिर की मान्यता कि जो भी भक्त यहां सच्चे में मन से पूजा करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.
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ओपी तिवारी/सूरजपुरः आज से दो दिन बाद शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है. इसको लेकर सभी शक्तिपीठ मंदिर में तैयारी शुरू हो गई है. ऐसे में आज हम आपको छत्तसीगढ़ के ऐसे शक्ति पीठ मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जो मां पार्वती का तप स्थली रही है. इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस दौरान यहां पर 10 दिनों तक विशाल मेले का आयोजन होता है. मां भगवती आदि शक्ति जगत जननी बागेश्वरी देवी कुदरगढ़ी का पावन धाम कुदरगढ़ में स्थित है, जो चारो तरफ से घने जंगलों और ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा हुआ है. आइए जानते हैं इस मंदिर के महत्व और मान्यता के बारे में...
1500 ऊंचे पहाड़ पर विराजमान है मां का स्थान
सूरजपुर मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर ओडगी विकासखण्ड में स्थित कूदरगढ़ धाम घने जंगल के बीच दुर्लभ पुष्प केतली जल झरनों से भरे लंबे-लंबे घने साल के विशालकाय वृक्ष गगन चुम्बी पहाड़ी चोटियों पर स्थित है. यहां पर वट वृक्ष के नीचे खुले स्थान माता बागेश्वरी देवी, कुदरगढी मां विराजमान हैं. इसे शक्तिपीठ के नाम से भी जानते हैं. यह स्थान करीब 1500 फीट ऊंचे पहाड़ पर विराजमान हैं.
मां भगवती ने किया था राक्षसों का संहार
यह क्षेत्र कुदरगढ मां भगवती पावर्ती की तप स्थली रही है, जहां से माता ने अनेक राक्षसों का अनेक रूप धारणकर संहार किया. कालांतर में इस पहाड पर दौड़कर चढ़ा जाता रहा, दौड़ने पर सरगुजिया बोली मे कुदना बोला जाता है. दण्डकारण के बाद यह कुदत चढ़ पहाड हुआ और यह धीरे-धीरे कुदरगढ़ पहाड़ हो गया.
आदिकाल से दी जाती है बकरे की बली
यहां नवरात्र के अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्वालु माता की पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामना के लिये मन्नत मांगते है तथा 9दिनों तक ज्योति कलश की स्थापना कर ज्योति जलाते हैं. यहां के इस धाम में आदिकाल से माता बागेश्वरी देवी कुदरगढ़ी माता को बकरे की बलि देने परंपरा चलते आ रही है. इस दौरान घंटा जयकारों की गूंज के साथ माता के भक्तों की लम्बी कतारें लगी रहती है. नवरात्रि में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्वालुओं की सुविधा को देखते हुए कुदरगढ़ लोक न्यास समिति, मेला समिति के साथ प्रशासनिक अमला इस दौरान लगे रहते हैं. जगह-जगह पर समाज सेवी संस्थाओं व अन्य धर्म प्रेमी बंधुओ द्वारा भण्डारे, जलपान, किर्तन भजन के साथ ठहरने आदि की व्यव्स्था की जाती है.
इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जो भक्त यहां सच्चेमन से मां कुदरगढ़ी का दर्शन पूजन करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. मां कुदरगढ़ी का यह दरबार बहुत मनमोहक है. इसके चारों तरफ वट वृक्ष हैं. पहाड़ पर खुले में मां भगवती का स्थान बहुत दिव्य हैं. यहां पर दिन प्रतिदिन लोगों कि आस्था बढ़ती जा रही है.
मनमोहक स्थल के रूप में जाना जाता है कुदरगढ़ धाम
इस माता के धाम में ऐसी मान्यता है कि जो सच्ची श्रद्वा व आस्था से आता है अवश्य ही उसकी मनोकमना पुरी होती है. मां कुदरगढ़ी का दरबार इतना सच्चा दरबार है यहां का वातावरण बहुत मनमोहक है. चारों तरफ वट के वृक्ष हैं पहाड़ पर खुले में विराजी है मां,बहुत ही सुन्दर स्थान में विराजी हैं दिन प्रतिदिन लोगों कि आस्था बढ़ती जा रही है. बता दें कि कुदरगढ़ धाम दर्शनीय स्थल के सात मनमोहक स्थल के रूप में भी जाना जाता है. माता के दर्शन के लिए भक्त बारहों माह यहां आने लगते हैं. आने वाले समय में इसे जल्द ही पर्यटन के रूप में देखा जाएगा,जिससे इस अनमोल विहंगम घाटी का विकास हो सके.
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