छत्तीसगढ़ में प्राइवेट स्कूलों में सरकार की ओर से जारी होने वाले शिक्षा का अधिकार योजना ( RTE ) का पैसा जारी नहीं किया जा सता है. साल 2021 से लेकर अबतक सरकार पर स्कूलों का करीब 200 करोड़ रुपए बकाया है.
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रायपुर: छत्तीसगढ़ के प्राइवेट स्कूलों की 200 करोड़ की राशि बकाया है. स्कूल शिक्षा विभाग को RTE ( राइट टू एजुकेशन ) के तहत 200 करोड़ की राशि का भुगतान निजी स्कूलों को करना है. ये राशि अलग-अलग सत्रों की है. शिक्षा का अधिकार योजना ( RTE ) का पैसा नहीं मिल पाने से स्कूल संचालकों में नाराजगी है. स्कूलों का मानना है कि पैसे नहीं मिल पाने से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
सत्र 2020-21 में सरकार ने की थी ये घोषणा
सरकार पर स्कूलों का 2021-22 के लिए 130 करोड़ रुपए बकाया है. सत्र 2020-21 में सरकार ने 55-60 करोड़ की राशि के साथ ही 10वीं कक्षा में भी RTE के तहत भुगतान की घोषणा की थी. इसके लिए 10 करोड़ की राशि का भुगतान किया जाना है.
प्राइवेट स्कूलों की बढ़ी परेशानी
प्राइवेट स्कूलों की नाराज़गी इस बात को लेकर है कि 2021-22 की जो राशि दी जानी है. उसके लिए अभी मांगपत्र भी तैयार नहीं किया गया है. मांगपत्र तैयार होने के बाद भी 5-6 महीने का समय लगेगा. प्राइवेट स्कूलों का कहना है कि कोरोना की वज़ह से पहले ही निजी स्कूलों को संकट का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से राशि जारी नहीं होने पर दिक्कतें और बढ़ गई हैं.
क्या है RTE
संविधान के आर्टिकल 21(A) में 6 से 14 बर्ष तक के बच्चों के लिये अनिवार्य एवं नि:शुल्क शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है. इसी के तहत सरकारें गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाती है. इसके लिए उन्हें कुछ राशि दी जाती है. इसी राशि का मामला छत्तीसगढ़ में अटका हुआ है, जिसकी मांग प्राइवेट स्कूल कर रहे हैं.
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