Rabindranath Tagore Death Anniversary: रवीन्द्रनाथ टैगोर की आज पुण्य तिथि! छत्तीसगढ़ से था उनका गहरा नाता
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Rabindranath Tagore Death Anniversary: रवीन्द्रनाथ टैगोर की आज पुण्य तिथि! छत्तीसगढ़ से था उनका गहरा नाता

Rabindranath Tagore Chhattisgarh Connection: नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर की आज पुण्य तिथि है. बता दें कि गुरुदेव का छत्तीसगढ़ के साथ उनके गहरा जुड़ाव था. छत्तीसगढ़ में ही उन्होंने एक हृदयस्पर्शी कविता लिखी थी.

Rabindranath Tagore Death Anniversary

Rabindranath Tagore Death Anniversary: नोबल पुरस्कार से सम्मानित राष्ट्रकवि गुरु रवींद्र नाथ टैगोर को उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश याद कर रहा है. छत्तीसगढ़ से भी गुरुदेव का गहरा नाता रहा है. सन 1902 में अपनी पत्नी की टीवी का इलाज कराने पेण्ड्रा स्थित सेनेटोरियम अस्पताल रविंद्र नाथ टैगोर अपनी पत्नी मृणालिनी का इलाज कराने पहुंचे थे. यहां उन्होंने अपनी मशहूर कविता फांकी भी लिखी थी. पेंड्रा के पत्रकारों एवं स्थानीय लोगों की मांग पर ही प्रशासन ने सेनेटोरियम हॉस्पिटल परिसर में उनकी एक प्रतिमा 6 महीने पूर्व ही लगाई है. उनकी पुण्यतिथि पर स्थानीय पत्रकारों ने फूलमाला चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

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रवींद्र नाथ टैगोर की आज पुण्यतिथि 
बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय संस्कृति चेतना में नई जान फूंकने वाले युग दृष्टा विश्व विख्यात कवि साहित्यकार दार्शनिक गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर की आज पुण्यतिथि है. जन-गण-मन के रचयिता गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर को आज पूरा देश याद कर रहा है. गीतांजलि, महुआ, कनिका, रुद्र चंड, शिशु भोलानाथ, पूरबी प्रवाहिन जैसी अनेक रचनाओं के साथ साहित्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर को पूरे देश में राष्ट्र कवि के रूप में जाना जाता है. कविता संग्रह गीतांजलि के लिए एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार से 1913 में गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर को सम्मानित किया गया था. छत्तीसगढ़ से भी गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर का अपना ही नाता रहा है. शायद लोगों को ना पता हो पर सन 1902 में अपनी आबोहवा के लिए पूरे देश में मशहूर पेंड्रा में अंग्रेजों ने टीवी का मशहूर अस्पताल सेनेटोरियम बनवाया था. जहां अपनी पत्नी मृणालिनी का इलाज कराने रविंद्र नाथ टैगोर रेल मार्ग से बिलासपुर होते हुए पेंड्रा पहुंचे थे. 

बिलासपुर के पुराने रेलवे स्टेशन में आज भी शिलालेख में एक स्मारिका लगाई गई है. दरअसल, पेंड्रा आने के लिए ट्रेन बदलने रविंद्र नाथ टैगोर को बिलासपुर रेलवे स्टेशन में उतरना पड़ा. जहां उन्हें बीमार पत्नी के साथ 6 घंटे ट्रेन का इंतजार करना पड़ा. बिलासपुर रेलवे स्टेशन के प्रतिक्षा घर में बैठे रविंद्र नाथ टैगोर की नजर रेलवे स्टेशन परिसर में झाड़ू लगाने वाली महिला पर पड़ी. टैगोर ने उस महिला से पूछा तुम्हारा नाम क्या है? तुम यह काम क्यों कर रही हो तो महिला ने अपना नाम रुक्मणी ने कहा कि उसकी बेटी शादी योग्य हो चुकी है. इसलिए मैं मजदूरी का पैसा जोड़ रही हूं, यह पूछने पर कि कितने पैसे में काम हो जाएगा. रुक्मणी ने बताया कि ₹20 में शादी हो जाएगी. फिर टैगोर की पत्नी ने गुरुदेव से उसे ₹20 देने का आग्रह किया. गुरुदेव ने कहा ठीक है, मैं इसे पैसे दे दूंगा, लेकिन ₹100 के खुल्ले करवाने के लिए उसे मेरे साथ बाहर चलना होगा. रुक्मणी को लेकर गुरुदेव बाहर गए और कहा कि तुम यह काम पैसे ठगने के लिए करती हो मैं स्टेशन मास्टर को बताऊंगा. इतने में रुक्मणी वहां से चले गयी. जब गुरुदेव दोबारा प्रतीक्षालय पहुंचे तो उन्होंने अपनी पत्नी को रुक्मणी को पैसे देने की बात झूठ बता दी. 

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मार्मिक कविता 'फांकी'लिखी 
इसके बाद सेनेटोरियम अस्पताल पहुंचकर उनकी पत्नी का इलाज चला. हालांकि, लंबे इलाज के बाद भी उनकी पत्नी बच नहीं सकी. इस तरह अपनी पत्नी की आखिरी इच्छा पूरी न कर पाने का दुख रविंद्र नाथ टैगोर को सताने लगा. गुरुदेव जब कोलकाता लौटने के लिए वापस बिलासपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे और रुक्मणी को ढूंढने लगे पर उन्हें रुक्मणी कहीं नहीं मिली. यही उन्होंने कवि हृदय से मार्मिक कविता 'फांकी' लिखी. 'फांकी' एक बांग्ला शब्द है, जिसका अर्थ है ''''छलना''''.. सेनेटोरियम अस्पताल परिसर में एक पत्थर गढ़ा है. जो 1954 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर द्वारा पेशेंट रीक्रिएशन हॉल का भूमि पूजन है. गुरुदेव की पुण्यतिथि पर प्रशासन का कोई भी व्यक्ति रविंद्र नाथ टैगोर की प्रतिमा पर नहीं पहुंचा, लेकिन स्थानिय पत्रकारों ने पूरे परिसर की सफाई कर गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर को श्रद्धा सुमन अर्पित कर जन गण मन का गायन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

रिपोर्ट: दुर्गेश बिसेन(पेंड्रा)

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