MP News: नर्मदापुरम जिले में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने का मामला सामने आया है. ऑनलाइन काम करने वाले दुकानदार फर्जी तरीके से लोगों से पैसे ऐंठ रहे हैं.
Trending Photos
MP Fake Birth Certificates News: मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के इटारसी में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने का गोरखधंधा तेजी से बढ़ रहा है. आधार केंद्रों पर हर दिन फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के मामले सामने आ रहे हैं. हर दिन अभिभावक अपने बच्चों की जन्मतिथि सही कराने के लिए चार से पांच फर्जी जन्म प्रमाण पत्र लेकर आधार कार्ड केंद्र पहुंच रहे हैं. आधार कार्ड केंद्र प्रभारी ने सरकारी अस्पताल इटारसी में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र आने की शिकायत की है. बता दें कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने का गोरखधंधा पूरे जिले में अपना जाल फैला रहा है.
धड़ल्ले से बन रहे हैं फर्जी जन्म प्रमाण पत्र
जिले में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने का गोरखधंधा तेजी से फैल रहा है. इन दिनों सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला हो रहा है. जिसके लिए स्कूल बच्चों से आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र मांग रहे हैं. वहीं बच्चों के अभिभावक ऑनलाइन दुकानों से फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाकर स्कूलों को दे रहे हैं. फर्जी जन्म प्रमाण पत्र को लेकर सबसे अहम बात जो सामने आई है वह यह है कि ऑनलाइन दुकानदार फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाकर उसमें जन्मतिथि बदलवाने के लिए बच्चों के अभिभावकों से 600 से 1000 रुपये तक वसूल रहे हैं. बता दें कि जब आधार केंद्र पर जन्म प्रमाण पत्र पर लगे बार कोड को स्कैन कर सत्यता की जांच की गई तो उक्त प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया.
यह भी पढ़ें: MP 8वीं बोर्ड सप्लीमेंट्री परीक्षा में NEET जैसी गड़बड़ी! पेपर दिया हिंदी का और आंसर शीट मिली अंग्रेजी की
बार कोड से हुआ खुलासा
फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का यह पहला मामला नहीं है. हर दिन चार से पांच फर्जी जन्म प्रमाण पत्र आधार कार्ड सेंटर पर आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला इटारसी आधार सेंटर पर आया जहां एक मां ने अपने बच्चे की जन्मतिथि आधार कार्ड में सही कराने के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र दे दिया. जब बच्चे के प्रमाण पत्र पर लगे बार कोड को स्कैन किया गया तो वह फर्जी पाया गया. जिसके बाद आधार सेंटर प्रभारी ने महिला से कहा कि उसका जन्म प्रमाण पत्र फर्जी है. बता दें कि महिला सिवनी मालवा की रहने वाली है. महिला की डिलीवरी जिला अस्पताल में हुई थी और बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र जिला अस्पताल भोपाल से बना था.
रिपोर्ट- अभिषेक गौर