Navratri Ashtami Vrat And Havan Time: नवरात्रि के दिन अष्टमी और नवमी के दिन हवन करने का बहुत महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन हवन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. आइए जानते हैं हवन का शुभ मुहूर्त व सही समय...
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Shardiya Navratri 2022 Havan Vidhi and Mantra: शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों का विशेष रूप से दर्शन पूजन किया जाता है. नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा को बुलाया जाता है और नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा की वदाई की जाती है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के उपासक नौ दिन का व्रत रखकर मां दुर्गा की उपासना करते हैं. वहीं कुछ लोग नवरात्र के पहले दिन और आठवें दिन का व्रत रखते हैं. आइए ज्योतिष मर्मज्ञ श्रीनाथ प्रपन्नाचार्य से जानते हैं कब और कैसे करें नवरात्रि का हवन?
कब है नवरात्रि की अष्टमी और नवमी?
नवरात्रि के अष्टमी तिथि की शुरुआत 02 अक्टूबर की शाम 06 बजकर 47 मिनट से हो रही है, जो 03 अक्टूबर की शाम 04 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार अष्टमी का व्रत 03 अक्टूबर को रखा जाएगा. 3 अक्टूबर के शाम से नवमी तिथि की शुरुआत हो जाएगी, जिसका समापन 04 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 22 मिनट पर होगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवरात्रि के अष्टमी और नवमी तिथि में हवन करना शुभ माना जाता है. ऐसे में आप नवमी तिथि खत्म होने से पहले हवन कर लें.
हवन सामग्री
हवन करने से पूर्व आप हवन सामग्री, देसी घी, समिधा, कपूर, धूप, आम की लकड़ी, चावल, जौ, कलावा, शक्कर, गाय का घी, पान का पत्ता, काला तिल, सूखा नारियल, लौंग, इलायची, कपूर, अगरबत्ती, सूखा नारियल, रोली, चंदन, अक्षत,आम या केले के पत्ते, पान के पत्ते, मिष्ठान, 5 प्रकार के फल, गंगाजल, चरणामृत, गुग्गल, लोबान, शहद, लाल वस्त्र ,सुपारी, फूलों की माला इत्यादि रख लें.
हवन पूजा विधि
हवन करने से पहले खुद को स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़ा पहने. इसके बाद हवन कुंड वाले स्थान पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें. अब आप हवन कुंड के चारों तरफ कलावा बांध दें और स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर पूजा करें. फिर हवन कुंड पर मां दुर्गा का ध्यान करते हुए अक्षत, फूल और कपूर डालें. फिर हवन कुंड में आण की लकड़ी रखें. अब आप हवन कुंड में लकड़ियां रखकर अग्निदेवता का ध्यान करते हुए अग्नि प्रज्वलित करें. इसके बाद मां दुर्गा के बीज मंत्र ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः’ का 108 बार जाप करते हुए कुंज में खीर, काले तिल, शहद और धूप से बनी सामग्रियों से आहुति दें.
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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)