MP News: खिल गए अफीम किसानों के चेहरे, नीमच में 'काला सोना' तौलने का काम हुआ शुरू
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MP News: खिल गए अफीम किसानों के चेहरे, नीमच में 'काला सोना' तौलने का काम हुआ शुरू

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के नीमच में काला सोना यानी अफीम किसानों का इंतजार खत्म हो गया है. अब अफीम की तौल शुरू हो गई है. जिससे लंबे समय से रखवाली करने वाले किसानों को थोड़ी राहत मिली है.

MP News: खिल गए अफीम किसानों के चेहरे, नीमच में 'काला सोना' तौलने का काम हुआ शुरू

Neemuch News: नीमच। मालवा अंचल के नीमच में अफीम किसानों में इन दिनों भारी उत्साह देखने को मिल रहा है. किसानों उत्साह इस बात को लेकर है कि जिस अफीम यानी काला सोना की रखवाली वह पिछले लंबे समय से कर रहे थे अब उसकी तौल होने लगी है. तौल के साथ ही उन्हें अपनी फसल की कीमत मिल जाएगी और उनके सिस से बोझ भी कम हो जाएगा.

नारकोटिक्स विभाग कर रहा तौल
नारकोटिक्स विभाग द्वारा नीमच प्रथम खंड के किसानों के लिए अफीम तौल 29 मार्च से 7 अप्रैल तक किया जाना है. विभाग ने कनावटी स्थित एक होटल में तौल केंद्र बनाया है. यहां किसान तय तारीख पर अपनी अफीम लेकर पहुंच सकते हैं. यहां विभागीय प्रक्रिया के साथ अफीम तौल किया जाएगा.

क्या हैं तौल के आंकड़े ?
नीमच प्रथम खंड में नीमच, जावद व जीरन तहसील के 3722 किसान आते हैं. जबकि, सीपीएस पद्धति के 2486 किसानों का डोडा तौला जाएगा. नीमच प्रथम खंड में कुल 198 गांव के किसानों का अफीम तौल होगा. 29 मार्च से 01 अप्रैल तक 1745 किसानों का अफीम तौल हो चुका है. इसमें 12 हजार 793 किलोग्राम अफीम तौल हुई है. शेष किसानों के लिए तौल जारी है.

किसानों की टेंशन खत्म
अफीम किसानों का कहना है कि इस वर्ष अफीम का तौल जल्दी करवाने से हमारी टेंशन खत्म हो गई. अफीम जब तक घर में थी तो चोर लुटेरों के डर से रात दिन रखवाली करनी पड़ती थी. इसके साथ ही किसानों ने अफीम के दाम न बढ़ने की भी शिकायत की है और केंद्र सरकार के पैसे बढ़ाने की मांग की है.

अफीम अधिकारी ने क्या कहा?
जिला अफीम अधिकारी एम के पीपल ने बताया कि 29 मार्च से अफीम तौल 29 मार्च से प्रारंभ हो चुका है. किसान अफीम की क्वालिटी अच्छी ला रहे हैं.

क्यों डरे रहते हैं किसान?
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के द्वारा किसानों को अफीम के लाइसेंस दिए जाते हैं और किसानों को खेती कर अफीम को निकालकर नारकोटिक्स विभाग को मार्फिन के आधार पर जमा करवाना पड़ती है. इसमें एक-एक ग्राम का हिसाब किसानों को देना होता है. अगर थोड़ा भी ऊपर नीचे होता है तो अफीम किसानों का लाइसेंस कट सकता है.

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