मुरैना के प्राचीन दाऊजी मंदिर में भगवान द्वारिकाधीश के आने पर लीला मेले की शुरूआत हो गई है. यहां भगवान श्री कृष्ण साढ़े तीन मेहमानी करेंगे. जानिये क्या है भगवान के मेहमानी के पीछे मान्यता और कहानी...
द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण जब तक द्वारिकाधीश मुरैना में विराजमान रहेंगे तब तक यहां उत्सव का माहौल रहेगा. इसके साथ ही लीला मेला चलता रहेगा और भारी संख्या में भक्त दर्शनों के लिए पहुंचते रहेंगे.
बंद रहते हैं द्वारिकाधीश के कपाट दाऊजी मंदिर के महंत ने बताया कि भगवान द्वारिकाधीश साढ़े तीन मुरैना गांव में रहते हैं. इस दौरान गुजरात के द्वारिका में द्वारिकाधीश मंदिर के पट बंद रहते हैं. क्योंकि भगवान की पूजा-अर्चना मुरैनागांव में होती है. कुछ यात्रियों ने यह भी बताया कि श्रीनाथजी में भी दीपावली पर कहा जाता है कि अभी भगवान की पूजा मुरैना में हो रही है.
क्या है मान्यता? दाऊजी मंदिर के महंत ने बताया कि 765 साल पहले मुरैना गांव निवासी कृष्ण भक्त संत गोपराम स्वामी को भगवान ने स्वप्न में दर्शन दिए और अपने साथ ब्रह्मलोक ले जाने लगे. गोपराम बाबा भगवान द्वारिकाधीश से कहा कि लोग कैसे जानेंगे कि आप मुझे लेने मुरैना गांव आए थे.
दावा किया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने संत गोपराम से वादा किया था कि मैं हर साल दीपावली की पड़वा से चौथ तक के लिए मुरैना गांव में मेहमानी करने आया करूंगा. उसी समय से लगातार द्वारकाधीश हर साल दीपावली की पड़वा से साढ़े तीन दिन की मेहमानी करने मुरैना गांव आते हैं.
हर साल होता है बच्चे का जन्म भगवान ने संत गोपराम स्वामी को यह भी वचन दिया था कि मेरी यहां दीवाली पर उपस्थिति यूं मानी जाए कि मेरे यहां आगमन से पहले दीपावली के त्यौहार के नजदीक (15 दिन पहले) इस गांव के स्वामी परिवारों में किसी न किसी के घर बेटे का जन्म अवश्य होगा.
स्थानीय लोग दावा करते हैं कि तब से लेकर अब तक हर वर्ष स्वामी परिवार में दीपावली से पहले 1 बच्चे या गाय के बछड़े का जन्म अवश्य होता है. इस साल भी एक बच्चे का जन्म हुआ है.
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