Chandrahasini Devi Temple In Janjgir Champa: छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने मंदिरों में से एक मां चंद्रहासिनी मंदिर जांजगीर चांपा जिले के चंद्रपुर की पहाड़ी पर स्थित हैं. मान्यता है कि भक्त यहां जो भी मनोकामना करते हैं वह अवश्य पूरी होती है. आइए जानते हैं इस मंदिर की पौराणिक मान्यता.
चंद्रहासिनी देवी मंदिर छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में स्थित है. यह मंदिर चित्रोत्पला गंगा महानदी के तट पर स्थित चंद्रपुर की एक छोटी पहाड़ी पर है. यहां पौराणिक एवं धार्मिक कथाओं की सुंदर झांकियां, महादेव पार्वती की लगभग 100 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा आदि बनाई गई हैं.
महानदी और मांड नदियों के बीच स्थित चंद्रपुर में मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक मां चंद्रहासिनी के रूप में स्थापित है. मां चंद्रहासिनी मंदिर में बलि चढ़ाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही थी. कहा जाता है कि यहां हर साल 1000 से 1500 बकरों की बलि दी जाती थी. हालांकि मंदिर बोर्ड पर दी गई जानकारी के मुताबिक चंद्रहासिनी मंदिर ट्रस्ट ने बलि प्रथा पर रोक लगा दी है.
मंदिर में अर्धनारीश्वर, हनुमान जी, कृष्ण लीला, चीरहरण, महिषासुर वध, चार धाम, नवग्रह सर्व धर्म सभा, शेषनाग और अन्य देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियां मौजूद हैं.
मंदिर में शीश महल, तारा मंडल के साथ-साथ महाभारत के पात्रों और कहानियों को दर्शाती झांकियां भी हैं जो दर्शन के लिए आने वाले भक्तों का मन मोह लेती हैं.
ऐसा माना जाता है कि मां चंद्रहासिनी देवी को उनके चंद्रमा के समान गुणों के कारण चंद्रहासिनी और चंद्रसेनी मां के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि भक्त यहां जो भी मनोकामना करते हैं वह अवश्य पूरी होती है.
सिद्ध शक्तिपीठ मां चंद्रहासिनी देवी के मंदिर में हर साल नवरात्रि के दौरान महाआरती के साथ 108 दीपक जलाकर पूजा की जाती है.नवरात्रि के मौके पर यहां दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता सती की बायां कपोल महानदी के पास स्थित पहाड़ी में गिरा था. जिसे आज बाराही मां चंद्रहासिनी मंदिर के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि सर्वसिद्धि दाता मां चंद्रहासिनी की पूजा करने वाले हर व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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