Durg News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग में स्थित एक गांव थनौद अपनी मूर्तिकला के लिए न केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां की मूर्तियां देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं. आइए जानते हैं इस गांव के बारे में.
छत्तीसगढ़ के दुर्ग में स्थित थनौद गांव को मूर्तिकला गांव के नाम से भी जाना जाता है. इस गांव के लगभग दो सौ परिवार केवल मूर्तिकला का काम करते हैं.यहां की मूर्तियां देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं.
इस गांव में बनी मूर्तियों और झांकियों की मांग न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में है. इस गांव में मूर्तिकला का इतिहास लगभग 100 वर्ष पुराना है. विभिन्न राज्यों से आने वाले लोग यहां मूर्तियां बनवाते हैं.
थनौद गांव में कृषि भूमि कम होने के कारण यहां के किसान खेतों में कम फसल उगाते हैं और साल भर मूर्तियां बनाकर अपना जीवन यापन करते हैं.
यहां के एक चक्रधारी परिवार ने बताया कि उन्होंने इस कला को आधुनिक युग में बचाकर रखा है. इसी कला के जरिए वह अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. बाकी समय में वह बर्तन और अन्य खिलौने बनाकर अपना जीवन यापन करते हैं.
इस गांव के लोग करीब 100 साल से मूर्तियां बनाकर अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं. यहां के लोग मूर्ति बनाने से पहले विधि-विधान से मिट्टी की पूजा करते हैं. इसके बाद ही अन्य सामग्री को मिट्टी में मिलाया जाता है.
थनौद गांव की की मूर्तियों की मांग छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों में भी है. इस गांव के मूर्तिकार लोगों के डिमांड के आधार पर सुंदर मूर्तियां बनाते हैं.
यहां साल भर मूर्तियां और झांकियां बनती रहती हैं. इसके साथ ही नवरात्रि उत्सव और गणेश चतुर्दशी के दौरान मूर्तियों की मांग सबसे ज्यादा होती है.
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