Vidisha News: मध्य प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल लाने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जो प्रदेश में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के दावों पर सवाल खड़े कर सकती हैं. दरअसल विदिशा जिले के लटेरी विकासखंड क्षेत्र के 20 से ज्यादा स्कूल भवनविहीन हैं. इन स्कूलों में 35 शिक्षक करीब 550 बच्चों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाते हैं.
जिले के लटेरी विकासखंड में करीब 20 स्कूल बिना भवन के हैं. इन स्कूलों में करीब 35 शिक्षक करीब 550 बच्चों को पढ़ाकर होशियार बनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन तस्वीरें जिम्मेदारों को शर्म से आंखें झुकाने पर मजबूर कर देंगी.
जिम्मेदार लोग बुनियादी सुविधाएं देने के नाम पर सरकार बना लेते हैं. लेकिन जब लोगों को सुविधाएं देने की बात आती है तो जिम्मेदार लोग दिखाई देना बंद हो जाते हैं.
खुले आसमान के नीचे बैठकर ये बच्चे कलेक्टर, इंजीनियर, डॉक्टर और सीआईडी बनने का सपना देख रहे हैं. लेकिन बच्चों को पढ़ाई के लिए अच्छी सुविधा तक नहीं मिल पा रही है.
वहीं इन छात्रों के अभिभावकों को उनसे काफी उम्मीदें हैं कि उनके बच्चे हमारा और हमारे गांव-शहर का नाम रोशन करेंगे. लेकिन परिस्थितियां उन्हें आगे बढ़ने से रोक रही हैं.
ये वो स्कूल और गांव हैं जहां आज तक स्कूल के नाम पर एक ईंट भी नहीं रखी गई है. आजादी के बाद भी ये बच्चे बरामदों, चबूतरों या सामुदायिक भवनों समेत पेड़ों और मंदिर परिसरों में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.
बता दें कि लटेरी की कंचनपुर की प्राथमिक शाला दहलान में संचालित की जाती है. जहां दो शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं. इसी तरह मोरी गांव के प्राथमिक विद्यालय में भी दो शिक्षकों की तैनाती की गई है और विद्यालय मंदिर परिसर में एक पेड़ के नीचे संचालित होता है. जबकि मदनपुर में विद्यालय खपरैल वाले कमरे में संचालित होता है.
वहीं वास्तु में ग्रामीण के ही प्रधानमंत्री आवास में स्कूल संचालित की जाती है. इसके अलावा शहर खेड़ा संकुल के सपेरा टपरा में पेड़ के नीचे चबूतरे पर स्कूल संचालित की जाती है. इसी तरह लटेरी विकासखंड क्षेत्र में 20 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जो पेड़ों के नीचे या दूसरों के भवनों और सामुदायिक भवनों में संचालित हो रहे हैं.
ट्रेन्डिंग फोटोज़