वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि भारत सरकार श्रीअन्न (shree anna) का वैश्विक हब बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है.जानिए आखिर क्या है श्री अन्न...
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shri anna budget 2023: 1 फरवरी यानी कल निर्मला सीतारमण (finance minister nirmala sitharaman) ने भारत का आम बजट पेश किया. इस दौरान उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा कि भारत सरकार श्रीअन्न (shree anna) का वैश्विक हब बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत में सदियों से खाए जाने वाले श्रीअन्न के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए छोटे किसानों के साथ सरकार मिलकर काम करेगी.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) की अपील पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस साल मिलेट्स ईयर (millet year) घोषित किया है. अभी हाल ही में इंदौर में हुए प्रवासी सम्मेलन में भी सभी मेहमानों को मिलेट्स से बने व्यंजन परोसे गए थे. अब बात करते हैं कि मध्यप्रदेश की. तो एमपी फिलहाल मिलेट्स उत्पादन में दूसरे पायदान पर है. पहला नबंर पर छत्तीसगढ़ है. लेकिन छत्तीसगढ़ के सीमा से लगे डिंडौरी में मिलेट्स उत्पादन में पहले पायदन पर है. मिलेट्स उत्पादन की अगुवाई अगर भारत करता है तो एमपी की भूमिका भी इसमें अधिक हो सकती है.
भारत कई तरह के ‘श्री अन्न’ के उत्पादन में शीर्ष पर है। इनमें ज्वार, रागी, बाजरा, कुट्टू, कंगनी, कुटकी, कोदो, चीना आदि शामिल हैं। यह सभी हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।#Budget2023 #UnionBudget2023 pic.twitter.com/bHH0ljp7U0
— Agriculture INDIA (@AgriGoI) February 1, 2023
पहले जानिए क्या है श्रीअन्न
गौरतलब है कि हमारे बड़े बुजुर्ग अपने खाने में हमेशा मोटे अनाज के मिश्रण को प्राथिमकता देते थे. इसके कारण वो स्वस्थ और शारीरिक तौर पर मजबूत भी होते थे. अब वक्त के साथ बदले खान-पान के कारण आजकल लोग इस पर ध्यान नहीं देते. दरअसल मोटे अनाज को वित्त मंत्री ने श्रीअन्न कहकर संबोधित किया है. जैसे- ज्वार, रागी, बाजरा, कुट, रामदाना, कांगनी, कुटकी, कोदो, चीना मोटे अनाज की श्रेणी में आते है. भारत में सदियों से प्रचलिक ये मोटे अनाज अब पश्चिमी देशों में लोकप्रिय हो रहे है.
डिंडौरी जिले में दुर्लभ कलेक्शन
दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक डिंडौरी जिले के सिलपीड़ी गांव में लहरीबाई अनाज की उन किस्मों के बीज हैं जो अब बाजार से क्या खेतों से भी गायब हो गए है. उन्होंने अपने घर के एक कमरे में 30 से ज्यादा दुर्लभ किस्मों को सहेज कर रखा है. लहरीबाई ने भास्कर से बात करते हुए बताया कि ये उनकी जीवन भर की कमाई है. वो इसे लोगों को बांट भी रही है, ताकि नई फसलों की उगाया जा सके.
मिलेट्स का उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा
इतिहास में जाए तो करीब 2 दशक पहले एक नारा मध्यप्रदेश में गूजा था- ''मिलेट्स हटाओ, सोयाबीन लगाओ'' लेकिन अब सरकार मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ाने के लिए गंभीर हो गई है. सरकार ने सभी जिलों के कलेक्टर को चिट्ठी लिखकर कहा है कि मोटे अनाज के लिए किसानों को प्रेरित करें.
फिलहाल MP में बाजार का हाल
मध्यप्रदेश के डिंडौरी, मंडला, उमरिया कटनी, सिंगरौली, जबलपुर, होशंगाबाद, मुरैना आदि जिलों में कुटकी, बाजरा, और ज्वार की खेती की जाती है. फिलहाल सरकार बाजरा दो हजार 350 और ज्वार दो हजार 970 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर खरीद रही है. मध्यप्रदेश में करीब 80 हजार हेक्टेयर में मोटे अनाज का उत्पादन हो रहा है.
श्रीअन्न से मिलने वाले फायदे
- ब्लड शुगर को कम करने में मददगार
- कॉलेस्ट्रॉल को कम करते हैं मोटे अनाज
- ग्लूटेन फ्री
बजट की मुख्य बातें
- मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए श्री अन्न योजना
- भारतीय मिलेट्स संस्थान का गठन होगा
- मुफ्त अनाज पर 2 लाख करोड़ का बजट