Alwar News: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली और संत आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने पैदल मार्च के माध्यम से शांति एवं अहिंसा का संदेश दिया.आचार्य सुनील सागर महाराज ने बंदियों के बीच अपने मंगल प्रवचन में कहा कि जीवन को शांतिपूर्ण तरीके से व शालीनता से जीना है तो सबसे पहले आक्रोश की अग्नि पर विजय प्राप्त करें.
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Alwar News: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने जैन संत आचार्य सुनील सागर महाराज के साथ श्री जैन भवन स्कीम नंबर 10 से केंद्रीय कारागृह अलवर तक पैदल मार्च के माध्यम से शांति एवं अहिंसा का संदेश दिया. मंत्री जूली ने कहा कि राज्य सरकार जेल सुधार की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है. इसी कड़ी में धर्मगुरूओं, संतों व समाज सुधारकों के प्रवचन कारागृहों में कराए जा रहे हैं. उन्होंने जैन संत आचार्य सुनील सागर जी महाराज के अलवर केंद्रीय कारागृह में पधारकर कैदियों को प्रवचन देने पर आभार जताया.
मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि आचार्य सागर जी महाराज की गुरु वाणी के विचारों को अपने जीवन में अमल में लावे. साथ ही उम्मीद जताई कि प्रवचन से कैदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकेगा. उन्होंने कहा कि विभाग के छात्रावासों में नैतिकता को बढ़ावा देने संबंधी पुस्तकों का वितरण कराएंगे. मंत्री जूली ने आचार्य सागर के पैर धोए और आरती की. उन्होंने संत के कारागृह में पावन प्रवास पर बंदियों की सुधार व्यवस्थाओं हेतु कारागार को भेंट राशि प्रदान की.
संत के प्रवचनों से भाव विभोर हुए कैदी, जीवन में सकारात्मक बदलाव के लिए लिया संकल्प
आचार्य सुनील सागर महाराज ने बंदियों के बीच अपने मंगल प्रवचन में कहा कि जीवन को शांतिपूर्ण तरीके से व शालीनता से जीना है तो सबसे पहले आक्रोश की अग्नि पर विजय प्राप्त करें. आक्रोश की अग्नि इंसान का जीवन उस तरफ ले जाती है जहां से जीवन बर्बाद होने की तरफ जाता है. उन्होंने कहा कि जो गलती नहीं करे उसे भगवान कहते हैं. जो गलती करके सुधर जाये उसे इंसान कहते हैं. उन्होंने कहा कि जीवन में जरा सी गलती इंसान को जेल में पहुंचा देती है.
जीवन में विवेक रखो ताकि हमारे द्वारा कोई गलत कदम नहीं उठ सके. उन्होंने कहा कि देखा जाये तो जो लोग जेल से बाहर हैं वो भी संसार के बंधनों में कैद है, वे भी क्रोध, लोभ, मोह, वासना आदि में कैद है लेकिन हमें इससे बाहर निकल कर बंधनों को तोडऩा है. बंदियों को सीख देते हुए उन्होंने कहा कि जेल को जेल नहीं बल्कि सुधार गृह समझ कर रह और आप जब यहां से छूट कर जाएं तो किसी से बदला लेने का भाव नहीं रखे. उन्होंने कहा कि जेल भी कई महापुरूषों की कर्मस्थली रही है जिन्होंने जेल में रहकर कई प्रेरणादायी किताबें लिखी हैं और उन किताबों से पता नहीं कितनों के जीवन में बदलाव आ गया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कारागृहों में नैतिकता को बढावा देने का कार्य कर रही है जो सराहनीय कदम है. इससे पूर्व आचार्य शशाशांक सागर ने अपने प्रवचन दिये.
कारागृह कर्मियों के साथ खेला समन्वय मैच
इस दौरान मंत्री जूली ने केंद्रीय कारागृह के कार्मिकों के साथ समन्वय क्रिकेट मैच खेला. इस दौरान मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा राज्य की जेलों में सुधारात्मक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी कड़ी में समन्वय मैच, धर्मगुरूओं के प्रवचन एवं कैदियों से पेट्रोल पम्प आदि संचालन का कार्य आदि कराया जा रहा है. उन्होंने कारागृह की व्यवस्था व सुधार हेतु कारागृह अधीक्षक को निर्देश दिए. कारागृह सुपरीडेंट प्रदीप सिंह लखावत ने धन्यवाद ज्ञापित किया.
इस दौरान उमरैण प्रधान दौलत राम जाटव, राज्य के पूर्व निशक्तजन आयुक्त खिल्लीमल जैन, अनिल जैन, नरेंद्र जैन, हरीश जैन, बच्चू जैन, विजय जैन, एडवोकेट राजेन्द्र जैन, पारस जेन, राजेंद्र जैन, रमेश जैन, विजय जैन, अशोक जैन, सहित बड़ी संख्या में जैन संत उपस्थित थे.