Chohtan: सिरोही से आए भ्रमण दल ने किया इस कम्पनी के कार्यक्षेत्र का भ्रमण
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Chohtan: सिरोही से आए भ्रमण दल ने किया इस कम्पनी के कार्यक्षेत्र का भ्रमण

श्योर संस्था के बिंजराड कैम्पस की विजिट की गई. जहां उन्होंने हस्तकला के उत्पादों के निर्माण की प्रक्रिया को समझा और कच्चे माल से तैयार उत्पाद तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया को देखा.

Chohtan: सिरोही से आए भ्रमण दल ने किया इस कम्पनी के कार्यक्षेत्र का भ्रमण

Chohtan: बाड़मेर जिले में नाबार्ड एवं बायफ संस्था की तरफ से सिरोही से आए 16 महिलाओं के दल ने सोसायटी टू अपलिफ्ट रूरल इकोनेामी (श्योर) बाड़मेर द्वारा नाबार्ड जयपुर के सहयोग से संचालित ओएफपीओ संपोषण परियोजना के तहत गठित एवं पंजीकृत थार आर्टीजन्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड के कार्यक्षेत्र का भ्रमण किया.

सबसे पहले श्योर संस्था के बिंजराड कैम्पस की विजिट की गई. जहां उन्होंने हस्तकला के उत्पादों के निर्माण की प्रक्रिया को बारीकी से समझा और कच्चे माल से तैयार उत्पाद तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया को देखा.

इसके बाद उन्होंने सीमावर्ती बिडाणी में चल रहे हस्तकला केंद्र का अवलोकन किया एवं दस्तकार महिलाओं से रूबरू हई. यहां इस दल ने हस्तकला के विभिन्न उत्पादों पर की जाने वाली हस्तकला को सीखा एवं खुद अपने हाथों से करने का प्रयास किया .

दल के साथ आए बायफ के परियोजना अधिकारी बलवंत सिंह चौहान ने भी महिलाओं के हुनर की बहुत प्रशंसा की एवं कम्पनी बनाने की पहल की दिल से सराहना की.
श्योर संस्था की संयुक्त सचिव लता कच्छवाहा ने बताया कि इस तरह के शैक्षिक भ्रमण कार्य को देखने एवं समझने के साथ-साथ एक दूसरे की संस्कृति एवं परम्पराओं को भी समझने का अवसर मिलता है. श्योर ने दस्तकारों के साथ मिलकर ना केवल बाड़मेर जिले में बल्कि विदेशों में भी यहां की पारंपरिक हस्तशिल्प को पहचान दिलवायी है .

परियोजना समन्वयक कानाराम प्रजापत ने बताया कि आदिवासी महिलाओं के इस प्रकार का हुनर अपने जीवन में पहली बार देखा और अपने हुनर में ऐसी पांरगत देखने का नहीं मिलती है . आदिवासी महिलाओं ने दस्तकार महिलाओं की दो से तीन पीढ़ियों को एक साथ कार्य करते देखा.

थार आर्टीजन्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड की डायरेक्टर जरीना सियोल ने बताया कि इस प्रकार के विजिट से काम करने एवं कार्य सीखने वालों के बीच एक सेतु बनता है. जिससे जीवन भर एक संपर्क एवं पहचान बनी रहती है. नाबार्ड के ऐसे प्रयास सराहनीय है.

दल में आई आदिवासी महिलाएं ने रेगिस्तान पहली बार देखा एवं यहां की हस्तकला के साथ ही साथ यहां की समस्याओं को भी जाना है. सभी ने दस्ताकर महिलाओं के कौशल की तारीफ की. इसके साथ ही दल में आई महिलाओं में से काजल, पिंकी, जमना, हीना, बला एवं बायफ कार्यकर्ता मनोज कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए. इस दौरान स्नेहलता, मोहन लाल, दाऊ राम, विशाल, पूरी देवी, चूनी देवी, बाबुसिंह एवं सुनील आदि ने सहयोग किया.

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