Maharaja Surajmal Jat : राजस्थान के वो महाराजा जो बुद्धि में चाणक्य तो ताकत में ग्रेट खली से भी थे आगे
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan2649889

Maharaja Surajmal Jat : राजस्थान के वो महाराजा जो बुद्धि में चाणक्य तो ताकत में ग्रेट खली से भी थे आगे

Maharaja Surajmal Jat : राजस्थान (Rajasthan)के वो महाराज जिन्होनें 160 दुश्मनों को एक हाथ से मार गिराया था. 7 फुट 2 इंच का कद और 150 किलो वजन की कद काठी वाले ये महाराज दोनों हाथों से तलवार चलाने में महिर थे. राजस्थान की शौर्य की मिसाल बने ये महाराजा शरीर पर 50 घाव होने के बाद भी युद्ध से पीछे नहीं हटे और दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए.

Maharaja Surajmal Jat king of Rajasthan with Chanakya brain and Great Khali strength

Maharaja Surajmal Jat : राजस्थान (Rajasthan)के वो महाराज जिन्होनें 160 दुश्मनों को एक हाथ से मार गिराया था. 7 फुट 2 इंच का कद और 150 किलो वजन की कद काठी वाले ये महाराज दोनों हाथों से तलवार चलाने में महिर थे. राजस्थान की शौर्य की मिसाल बने ये महाराजा शरीर पर 50 घाव होने के बाद भी युद्ध से पीछे नहीं हटे और दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए.

रोजाना 5 लीटर दूध और आधे किलो घी अपनी डाइट में शामिल करने वाले महाराजा सूरजमल जाट के आगे आज के खली भी कहीं नहीं टिकते हैं. महाराजा सूरजमल जाट पूरी तरह से शाकाहारी थे. हांलाकि उन्हे शिकार करने का शौक था. बेहद मजबूत कद काठी वाले महाराजा सूरजमल जाट ना सिर्फ अपनी वीरता और शौर्य बल्कि युद्ध नीति में अपनी परिवक्वता के लिए भी जाने जाते हैं.

13 फरवरी, 1707 को महाराजा सूरजमल जाट ने दिल्ली और आगरा से लेकर अलीगढ़, भरतपुर, बुलंदशहर, धौलपुर ,फरीदाबाद, हाथरस, मथुरा, मेवात, मुजफ्फरनगर ,मेरठ और पलवल को मुगलों की चंगुल से छुड़ाया था . 18वीं शताब्दी में अफगान अहमदशाह अब्दाली और ईरान से आए नादिर शाह ने हजारों हिन्दुओं का कत्लेआम किया था. मंदिरों-तीर्थस्थलों को तोड़ा जा रहा था. इधर हिंदुस्तान पर शासन कर रहे मुगल धीरे धीरे कमजोर हो चुके थे. 

उधर राजपूत और मराठाओं में  शक्ति होने के बाद भी एकता ना होने के चलते वो कुछ कर नहीं पा रहे थे. इस बीच महाराजा सूरजमल जाट ने हिम्मत दिखायी. दिल्ली और आसपास के इलाकों में बसे जाट समाज के योद्धाओं के साथ मिलकर मुगलों के खिलाफ जंग शुरू की. 

संभल के पास जाटवाड़ में जाटों ने मुर्शिद कुली खान को मार गिराया, जिसे शाहजहां ने जाटों को कुचलने की जिम्मेदारी दी थी. अब औरंगजेब का शासन आ चुका था. जिसने हिंदू समाज पर कर, लगाकर समाज की कमर तोड़ कर रख दी थी. ऐसे में गोकुल सिंह जाट ने हिंदूओं को मुगलों को कर, नहीं देने की सलाह दी.

जिसके बाद औरंगजेब ने गोकुल जाट को मारने के लिए मुगल सेनापति अब्दुल नबी खान को भेजा, लेकिन वो भी मारा गया. औरंगजेब को ये बात नागवार गुजरी और उनसे जाटों को घेर लिया. जिस कारण कई जाट महिलाओं ने जौहर कर लिया. इधर जाट नेता महावीर गोकुल सिंह जाट को मुगलों ने पकड़ लिया और जान बचाने के लिए इस्लाम अपनाने को कहा. ना मानने पर महावीर गोकुल जाट की हत्या कर दी. गोकुल जाट के बाद ब्रजराज जाट और उनके भतीजे राजाराम जाट ने संघर्ष जारी रखा.

लेकिन मुगलों ने ब्रजराज जाट की हत्या करवा दी. जिसके बाद औरंगजेब ने शफी खान नाम के मुगल योद्धा को जाटों के खात्मे के लिए भेजा. इधर राजाराम जाट ने आगरा में अकबर की कब्र तक खोदकर उसकी हड्डियां जला डाली. राजाराम के बाद जाटों के नेता चूड़ामन जाट बने थे.

अब बारी थी सूरजमल जाट की जिन्होनें सबसे पहले मराठों के साथ समझौता किया. सूरजमल जाट को काबू करने के लिए अहमदशाह अब्दाली को भारत आना पड़ा.  उसने बहुत कत्लेआम किया मथुरा और इसके आसपास के इलाकों में लूटपाट की. इतिहास में सूरजमल जाट की मृत्यु के लेकर विरोधाभास है. कुछ का मानना है कि , मुग़ल सरदार नजीबुद्दौला के साथ लड़ाई में महाराज की मृत्यु हो गई थी. लेकिन, अपने राजा की मौत के बाद भी जाट अंत तक लड़ते रहे और मुगलों की फौज को खदेड़ दिया.

महाराजा सूरजमल जाट की मौत के बाद मुगल डरे हुए थे. डर इतना था कि नजीबुद्दौला ने कई लोगों को बुला कर महाराज के  शव की पहचान कराई थी. बताया जाता है कि पानीपत के युद्ध में अहमदशाह अब्दाली की जीत और मराठों की हार के पीछे एक बड़ा वजह ये भी थी कि मराठे महाराजा सूरजमल जाट की शक्ति और सहायता नहीं हासिल कर पाये थे.

महाराजा सूरजमल कुशल योद्धा थे. जब अहमद शाह अब्दाली जब चौथी बार भारत को लूटने आया था, तो उसने महाराजा सूरजमल जाट से भी समर्पण को कहा था लेकिन बदले में खुद को रेगिस्तान का शासक बताते हुए सूरजमल एक पत्र लिखा. इस पत्र में पूछा गया था कि इतना बड़ा राजा अब एक गरीब इलाके के शासक से लड़ेगा क्या ? उन्होंने कहा था कि वो अहमत शाह अब्दाली के प्रस्ताव को अपनाकर उनके साथियों का सम्मान कम नहीं होने देंगे और आत्म समर्पण नहीं करेंगे.

बिना सोचे विचारे कुछ ना करने और बोलने वाले महान जाट महाराजा सूरजमल जाट को भारत का प्लेटो (प्राचीन यूनानी दार्शनिक) और जाट समुदाय का ओडीसियस यानि की (प्राचीन ग्रीक राजा और होमर की पुस्तक ‘इलियद’का किरदार) भी कहा जाता रहा है. महाराजा सूरजमल जाट के युद्ध के दौरान कही गयी बातें उनके युद्धकौशल और एक शानदार राजनैतिज्ञ होने की तरफ इशारा करते हैं.

महाराजा सूरजमल जाट ने कहा था कि - अब्दाली की सेना पर अभी आक्रमण ना किया जाएं बल्कि गर्मी का इंतजार करो क्योंकि हर गर्मी सह सकते हैं, वो नहीं.
युद्ध में स्त्रियों और बच्चों को डीग के किले में सुरक्षित रखा जाए ताकि युद्ध में योद्धा निश्चित होकर लड़ सकें.
शत्रु की सेना पर सीधा हमला मत करो बल्कि गुरिल्ला युद्ध का तरीका अपनाया जाएं.

Trending news