Kapasan, Chittorgarh News: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में इन दिनों किसान घर बैठे निगरानी कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने खेतों में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए है. बता दें कि अफीम की फसल बर्बाद होने पर इसका मुआवजा मिलता है.
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Kapasan, Chittorgarh News: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ क्षेत्र में अफीम की फसल पककर तैयार हो गई है. किसान पूजा-अर्चना कर अफीम के डोडो से लुवाई और चिराई के काम में जुट गए हैं. वहीं, किसानों ने अफीम के खेतो में नाइट विजन CCTV कैमरे भी लगाए हैं, ताकि हर समय डोडो की निगरानी रखी जा सकें.
आपको बता दें कि लाइसेंस के आधार पर बहुतायत से की जाने वाली अफीम की फसल जो कि काले सोने के नाम से भी मशहूर है. वह अब पककर तैयार हो चुकी है. इसके लिए किसान दिन-रात मेहनत कर अफीम की फसल को एक बच्चे की तरह देखरेख करते हैं.
सीसीटीवी से किसान कर रहे खेतों की रखवाली
वहीं, आजकल आधुनिक किसानों ने अपने खेतों में सोलर पैनल के सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हैं, जिसके चलते अगर रात में किसान घर बैठे-बैठे अफीम फसल की निगरानी चोरों और नील गायों का ध्यान रख रहे हैं.
मेड पर माता की पूजा-अर्चना
चीरे लगाने से पहले किसानों ने अपने खेत की मेड पर माता कालिका के प्रति रुप में माताजी की प्रतिमा स्थापित कर के पूजा-अर्चना कर अफीम में लुवाई और चिराई का काम शुरू किया है.
शुभ मुहूर्त में लगाया जाता है चीरा
अफीम की फसल पकने के बाद डोडे के चीरे लगाने का मुहूर्त किया जाता है उसे 'नेणा' करना कहते हैं. इस दिन किसान 5 डोडो की पूजा-अर्चना कर चीर लगाते है. वहीं, विशेष ओजारों के माध्यम से डोडो के चीर लगाई जाती है, जो 'नुक्का' कहलाता है.
बता दें कि भारत के विभिन्न राज्यों में अफीम की खेती की जाती है, जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश. वहीं, राजस्थान के भीलवाड़ा, उदयपुर, कोटा, प्रतापगढ़, झालावाड़ में अफीम की खेती होती है. यूपी के बाराबंकी में अफीम की खेती होती है. वहीं, अगर अफीम की फसल बर्बाद हो जाती है, तो इसकी सूचना नारकोटिक्स डिपार्टमेंट को देनी होती है और सरकार इसका मुआवजा देती है.
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