चुनावी साल से पहले किसानों के हित में मुख्यमंत्री का बड़ा निर्णय, करोड़ों रूपए की सिंचाई परियोजनाएं स्वीकृति
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चुनावी साल से पहले किसानों के हित में मुख्यमंत्री का बड़ा निर्णय, करोड़ों रूपए की सिंचाई परियोजनाएं स्वीकृति

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार किसानों के हित में निरंतर महत्वपूर्ण निर्णय ले रही है. कृषि क्षेत्र में संचालित विभिन्न योजनाओं से किसानों को अधिकतम राहत देने का कार्य किया जा रहा है.

चुनावी साल से पहले किसानों के हित में मुख्यमंत्री का बड़ा निर्णय, करोड़ों रूपए की सिंचाई परियोजनाएं स्वीकृति

Ashok gehlot : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार किसानों के हित में निरंतर महत्वपूर्ण निर्णय ले रही है. कृषि क्षेत्र में संचालित विभिन्न योजनाओं से किसानों को अधिकतम राहत देने का कार्य किया जा रहा है. सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रदेश में 3269 करोड़ रूपए की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दी है. मुख्यमंत्री की मंजूरी से प्रदेश में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण, वर्तमान में संचालित सिंचाई परियोजनाओं का जीर्णोद्धार और सेम प्रभावित क्षेत्र को पुनः कृषि योग्य बनाने संबंधी कार्य किये जा सकेंगे.

गहलोत के 'राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्संरचना परियोजना के माध्यम से राज्य के रेगिस्तानी क्षेत्र में जल संसाधनों को संरक्षित एवं विकसित कर पेयजल एवं सिंचाई जल उपलब्ध कराने और 22 हजार 831 हेक्टेयर सेम क्षेत्र को पुनः कृषि योग्य बनाने के लिए लगभग 3100 करोड़ रूपए के वित्तीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया है. इसके अतिरिक्त प्रतापगढ़ जिले में करमोही नदी पर ढोलिया ग्राम सिंचाई परियोजना, डूंगरपुर जिले में सोम नदी पर भभराना ग्राम सिंचाई परियोजना एवं डूंगरपुर जिले में ही सोम नदी पर वनवासा ग्राम सिंचाई परियोजना के लिए 101.12 करोड़ रूपए का वित्तीय प्रावधान किया गया है. राज्य में भूजल पुनर्भरण हेतु बांसवाड़ा की गांगड़ तलाई तहसील में अनास नदी व दौसा जिले की लालसोट तहसील में मोरेल नदी पर एनिकट के निर्माण और बूंदी जिले में मेज नदी पर बने डबलाना एनिकट के जीर्णोद्धार के लिए 68.78 करोड़ रूपए की वित्तीय स्वीकृति दी गई है.

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री की गई विभिन्न बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन में उक्त स्वीकृति दी गई है. इस स्वीकृति से प्रदेश के विभिन्न जिलों में सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी. प्रदेश में जल का अपव्यय रूकने से सिंचित क्षेत्र में वृद्धि हो सकेगी, साथ ही भूजल पुनर्भरण होने से अधिकतम क्षेत्र को कृषि उपयोगी बनाया जा सकेगा.

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