Congress: राजस्थान में वीरांगनाओं के धरने और उसके बाद उत्पन्न घटनाक्रम को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को शहीद वीरांगनाओं के मामले को कानूनी रूप से नहीं, बल्कि संवेदना के नजरिए से देखना चाहिए था. कोई न कोई रास्ता निकाला जा सकता है, वहीं त्रिवेदी ने कांग्रेस और उसके नेताओं पर इस तरह के मामलों में राजनीति करने का आरोप लगाया है.
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Rajasthan Congress: जयपुर आए बीजेपी राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने वीरांगनाओं के मुद्दे पर कहा कि यह बहुत ही दुखद और संवेदनशील मामला है. हमारी सरकार की प्रतिबद्धता थी कि बालाकोट एयर स्ट्राइक करके दिखाया. कांग्रेस पार्टी उसे लेकर भी शुरू से दुखद राजनीति करती रही है. कभी तो उनके नेता ने अनके प्रकार के आरोप लगाए, कभी बड़े नेताओं ने कहा कि यह तो हुआ ही नहीं. कभी कहा कि पाकिस्तान को क्यों ब्लेम कर रहे हैं.
बालाकोट स्ट्राइक पर सबूत मांगा गया. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि अब राजस्थान में इस प्रकार का मामला आया है. इसे कानूनी रूप से मत देखिए संवेदना के नजरदीय से देखिए, कोई न कोई रास्ता निकाला जा सकता है. जिस कानूनी नजरिए की बात सीएम गहलोत करते हैं, उसमें संवेदना भी रखनी चाहिए. यह तो वो पार्टी है जिसने तलाकशुदा महिला शाहबानों को मुआवजा न देना पडे, इसके लिए संविधान में संशोधन कर दिया था. शहीदों की विधवाओं को कैसे सुविधा मिल सके इसके लिए कानून में परिवर्तन नहीं कर सकती क्या सरकार ?
रिकॉर्ड बहुमत से सत्ता में आएगी बीजेपी
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि मुझे लगता है कि साढे़ चार साल में जनता ने जो कुछ देखा है या भुगता है, स्पष्ट रूप से मन बन गया है कि भाजपा के नेतृत्व में प्रचंड बहुमत की सरकार आएगा. बीजेपी ने 2013 में रिकॉर्ड बनाया था उससे बेहतर प्रदर्शन करेंगे. त्रिवेदी ने कांग्रेस की बगावत पर कटाक्ष किया कि राजस्थान ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस ने अद्भुद उदाहरण पेश किया. जिसको राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने जा रहे थे वो बागी हो गया है. मजे की बात यह है कि बागी खेमे में प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा भी आ गए और स्पीकर सीपी जोशी भी उसी श्रेणी में हो गए .
ऐसा अद्भुद उदहरण नहीं देखा होगा मेरे विचार से. आज राजस्थान की हालत यह है आपसी लड़ाई में जनता का ध्यान नहीं रहा. कांग्रेस ऐसा जहाज है, जिसे दो पायलट अलग-अलग दिशा में चला रहे हैं. एक फूल दो माली, दोनों ही फूल को तबाह करने में लगे हैं, मगर राजस्थान की जनता कमल के फूल के साथ खड़ी हुई है.
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